बिहार चुनाव में भारी जीत के जरिए भाजपा की पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु तक संदेश पहुंचाने की कवायद
भाजपा बिहार की जीत को इतनी बड़ी बनाना चाहती है कि अगले साल चुनाव में जा रहे पश्चिम बंगाल असम और तमिलनाडु तक इसकी गूंज जाए। माना जा रहा है कि अगले दो तीन दिनों में दोनों खेमों के खिलाड़ियों का नाम भी तय हो जाए।
नई दिल्ली, आशुतोष झा। बिहार में राजद, कांग्रेस, जदयू या अन्य छोटे बड़े दल भले ही केवल एक लड़ाई लड़ रहे हों, लेकिन भाजपा बिहार के जरिए ही 2021 की लड़ाई का तेवर सेट करना चाहती है। फिलहाल भाजपा को इसका सबसे मुफीद अवसर भी दिख रहा है, जब राजग के बड़े गठबंधन का मुकाबला छोटे महागठबंधन से होना तय माना जा रहा है। ऐसे में भाजपा बिहार की जीत को इतनी बड़ी बनाना चाहती है कि अगले साल चुनाव में जा रहे पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु तक इसकी गूंज जाए। चुनाव की घंटी बज चुकी है और माना जा रहा है कि अगले दो तीन दिनों में दोनों खेमों के खिलाड़ियों का नाम भी तय हो जाए।
बिहार में अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल करने की होगी कोशिश
रालोसपा महागठबंधन खेमे से रस्सी तोड़कर भाग चुकी है। लोजपा में लाख खींचतान के बावजूद राजग में ही रहने का मन है, कम से कम वह महागठबंधन खेमे में जाने को तैयार नहीं है। बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों में महागठबंधन खेमे के कुछ लोग भी भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। यानी उस दल के नेता पाला बदलें या न बदलें लेकिन कार्यकर्ता मन बनाने लगे हैं। जाहिर तौर पर फिलहाल खेमे की बात हो तो राजग मजबूत आधार पर खड़ा है। जबकि लोकसभा के बाद यह पहला चुनाव है कि लालू प्रसाद सीन से गायब हैं। यहां तक कि राजद के पोस्टरों में भी वह नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में एमवाई समीकरण कितना मजबूत रहेगा इसे लेकर खुद राजद में संशय है।
भाजपा इसे मान रही मुफीद अवसर
राजद नेता तेजस्वी यादव सार्वजनिक रूप से लालू काल की कुछ घटनाओं के लिए माफी मांग चुके हैं जबकि यही कुछ घटनाएं थीं जिसके कारण एमवाई समीकरण मजबूत हुआ था। वैसे भी पिछले चुनावों में लालू के रहते हुए भी वाई फैक्टर कमजोर दिखा था जिसे अब पूरी तरह तोड़ने की कोशिश होगी। भाजपा ने जिस तरह केंद्रीय गृहमंत्री नित्यानंद राय को चुनाव में झोंका है उससे इसका अंदाजा लग सकता है। यही कारण है कि बतौर मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी को प्रोजेक्ट किए जाने का विरोध महागठबंधन के अंदर ही है।
पूरे राजग के लिए बड़ी जीत में जुटेगी भाजपा
बिहार में दलों के बीच अभी सीटों का औपचारिक बंटवारा बाकी है। माना जा रहा है कि यह लोकसभा की तर्ज पर ही होगा। भाजपा भी लोकसभा की तर्ज पर ही केवल पार्टी नहीं बल्कि पूरे राजग के लिए बड़ी जीत में जुटेगी। बताया जाता है कि 200 सीटों का लक्ष्य भेदने की कोशिश होगी, ताकि अगले साल मई में होने वाले पश्चिम बंगाल और असम तक इसका सीधा संदेश जाए। पश्चिम बंगाल खास है क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा ममता बनर्जी का प्रभाव तोड़ने में सफल हो चुकी है।
वहां भी विरोधी दलों में बंटवारा है और बड़ी बात यह है कि वहां सत्ताधारी दल के खिलाफ लड़ना है। एक दिन पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम के गठन में भी इसका साफ संकेत दे दिया गया है कि पश्चिम बंगाल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस से आए रणनीतिकार मुकुल राय और अनुपम हाजरा को तो राष्ट्रीय पदाधिकारियों में शामिल किया ही गया है, राष्ट्रीय प्रवक्ता मे भी प्रदेश को जगह मिली है।