EXCLUSIVE: नकवी बोले- महागठबंधन का गुब्बारा अभी फूल रहा है, जल्द ही फूट भी जाएगा

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि भाजपा का विकास का एजेंडा वोट का फंडा नहीं है।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Sat, 08 Sep 2018 12:46 AM (IST) Updated:Sat, 08 Sep 2018 10:00 AM (IST)
EXCLUSIVE: नकवी बोले- महागठबंधन का गुब्बारा अभी फूल रहा है, जल्द ही फूट भी जाएगा
EXCLUSIVE: नकवी बोले- महागठबंधन का गुब्बारा अभी फूल रहा है, जल्द ही फूट भी जाएगा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चुनाव सामने है और विपक्ष राफेल से लेकर महंगाई और बेरोजगारी तक के मुद्दे पर गोलबंद हो रहा है। पहले एससी-एसटी एक्ट को लेकर दलितों का आंदोलन और अब उसके खिलाफ सवर्ण प्रदर्शन की आहट दिख रही है। लेकिन केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का मानना है कि यह सब कुछ विपक्ष का फुलाया गुब्बारा है जो किसी भी वक्त फूट जाएगा। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा के साथ नकवी की बातचीत का अंश-

बदलाव के नारे के साथ आई मोदी सरकार के पांच साल पूरे होने को हैं। चुनाव सामने हैं। आप कितने आश्वस्त हैं?
जवाब- पिछली बार से भी ज्यादा आश्वस्त हूं। बदलाव का नारा ही नहीं था, वह तो मोदी सरकार ने करके दिखाया है। पूरी कार्यसंस्कृति बदली। शासन की सोच बदली जहां राजनीति से परे उठकर सिर्फ विकास होता है। कोई भी वर्ग पीछे नहीं छूटा। साफ नीयत, सही विकास की सोच दिखी। नीतिगत अनिर्णयता, भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद वाली पिछली सरकार के दलदल से देश को बाहर निकालने का जो काम मोदी सरकार ने किया है, वही हमें और बड़ी जीत का भरोसा देता है। 

-लेकिन आरोप लगाया जा रहा है कि दलित हो या अल्पसंख्यक वर्ग वह डरा हुआ है और सवर्ण उग्र है?
जवाब- डरे हुए वे लोग हैं जो अल्पसंख्यकों और दलितों को डराकर अपनी दुकान चला रहे थे। ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नए नेता पप्पू से गप्पू तक बन गए हैं। केवल गप्पबाजी कर रहे हैं। कुछ लोग आंदोलन को भड़का रहे हैं। बल्कि कांग्रेस तो नक्सलियों तक की सहायता ले रही है। क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस और उसके कुछ साथी आंदोलन भड़काते हैं। लेकिन हर आंदोलन के साथ ही बेनकाब भी होते जा रहे हैं। विकास का हमारा मसौदा कोई राजनीतिक सौदा नहीं है। और विकास की यही कुंजी है।

-कहा जाता है कि अल्पसंख्यक समाज का भरोसा कांग्रेस पर हुआ करता था। लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व से वह असमंजस में है। वहीं तीन तलाक जैसे मुद्दे पर भाजपा मुस्लिम वोट की आस संजोए है?
जवाब- कोई भी समाज असमंजस में नहीं है। असमंजस में तो कांग्रेस है। कभी टोपी लगा लेती है तो कभी तिलक। तीन तलाक सुधार का मुद्दा है और मैं पहले ही कह चुका हूं कि हमारा विकास का एजेंडा वोट का फंडा नहीं है। मोदी जी कभी नहीं सोचते कि तीन तलाक के निर्णय से कौन खुश होगा और कौन नाराज। मोदी जी नहीं सोचा कि नोटबंदी से कौन नाराज होगा। हज की सब्सिडी खत्म करेंगे तो कौन खुश और कौन नाराज होगा। लाल बत्ती हटा देने से कई नेता नाराज हुए होंगे। लेकिन मोदीकाल की यही तो खासियत है कि यहां किसी की पसंदगी-नापसंदगी से शासन के कदम तय नहीं होते।

-असहिष्णुता भी एक मुद्दा है?
जवाब-है नहीं, बनाया जा रहा है। आपने मोदी जी के साढ़े चार साल के काल में कही दंगा भड़कते देखा है? कांग्रेस तो दंगों की हिस्ट्रीशीटर रही है। जो छिटपुट घटनाएं हुई हैं, वह कांग्रेस और उसके साथियों ने भड़काई हैं।

-आप उत्तर प्रदेश से आते हैं। पिछली बार 73 सीटें जीती थीं। इस बार महागठबंधन सामने खड़ा नजर आ रहा है?
जवाब- पिछली बार भी इन दलों ने यही तो कहा था कि चाहे कुछ भी हो मोदी को नहीं आने देंगे। एक-दूसरे को वोट भी ट्रांसफर कराए। मैं फिर से कहता हूं कि महागठबंधन का गुब्बारा अभी फूल रहा है जल्द ही फूटेगा।

-हर चुनाव में कोई न कोई रक्षा सौदा उभरता है। इस बार राफेल को बड़ा विषय बनाया जा रहा है। आप कितने आशंकित हैं?
जवाब- कांग्रेस और उसके नेता लफ्फाजी के लैपटॉप बन गए हैं। वह जो भी कह रहे हैं वह फेक और फ्राड है। राफेल के बारे में पूरा देश जानता है कि कांग्रेस झूठ बोल रही है। रक्षा सौदों में दलाली का इतिहास तो कांग्रेस का रहा है। देश जानता है कि इस दलाली में कांग्रेस के एक परिवार का नाम आता रहा है। हमारी सरकार ने बिचौलियों को घुसने ही नहीं दिया। दो देशों ने आमने-सामने बैठकर सौदा तय किया और यह सुनिश्चित किया कि सेना की जरूरत जल्द पूरी हो। इसमें कहां भ्रष्टाचार आता है।

-चुनाव खर्च में कमी भी सुधार का हिस्सा है। पर भाजपा पार्टी के खर्च को सीमा में बांधने के खिलाफ है।
जवाब- हम भी चाहते हैं कि चुनावी खर्च कम हो। आखिर इसीलिए तो वन नेशन वन इलेक्शन की बात कर रहे हैं। दूसरी पार्टियां सहमत नहीं हैं। चुनाव में पार्टी के खर्चे को दूसरे नजरिए से देखना चाहिए। क्या लोकतंत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंचना चाहिए। क्या वोटरों को यह नहीं बताया जाना चाहिए कि हमारी पार्टी की नीति क्या है और हम क्या करना चाहते हैं। हम खर्च कम करना चाहते हैं। वैसे भी राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को आय और व्यय का पूरा ब्योरा दिया जाता है। हमारे नजरिए को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। ईवीएम पर भी सवाल उठाया जा रहा है। लेकिन इसी ईवीएम से तो कांग्रेस दस साल तक सरकार में रही।

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