ईरान के साथ रिश्ते पटरी पर लाने की तैयारी, राष्ट्रपति के शपथ समारोह में हिस्सा लेंगे एस जयशंकर
अफगानिस्तान में बदलते हालात के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर के 5 अगस्त को तेहरान में नवनिर्वाचित ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करने की संभावना है। भारत ने पहले ही इस आयोजन के लिए ईरान द्वारा निमंत्रण स्वीकार किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ईरान के साथ रिश्तों की गाड़ी को पूरी तरह से पटरी पर लाने के लिए भारत कोई भी मौका नहीं छोड़ने जा रहा है। वहां के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का शपथ ग्रहण समारोह एक ऐसा ही मौका होगा, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर हिस्सा ले सकते हैं। पांच अगस्त को तेहरान में होने वाले इस समारोह में कई देशों के शासनाध्यक्ष व विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत ही नहीं, दूसरे देशों के लिए भी ईरान की अहमियत बढ़ गई है।
अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए भारत समेत अन्य देशों के लिए बढ़ गई है ईरान की अहमियत
जयशंकर का रईसी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने का फैसला ही अहम है। हाल के दशकों में यह पहला मौका होगा, जब भारतीय विदेश मंत्री ईरान में किसी शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगे। तीन हफ्ते पहले ही जयशंकर रूस की यात्रा के बीच में तेहरान में रुककर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की थी। रईसी के चुनाव के बाद भारत पहला देश था, जिसने अपने विदेश मंत्री को मिलने के लिए भेजा था। जयशंकर ने रईसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष संदेश भी दिया था।
सुस्त पड़े रिश्तों को नई दिशा देने को तैयारी
ईरान की तरफ से भी संकेत दिए गए हैं कि वह भी सुस्त पड़े रिश्तों को नई दिशा देने को तैयार है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। ऐसे में वह भी भारत के साथ सामान्य कारोबारी रिश्तों को लेकर उत्सुक है। भारत वर्ष 2019 तक ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देश रहा है।
ईरान से फिर से तेल खरीदने को तैयार
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि देश की तेल कंपनियां ईरान से फिर से तेल खरीदने को तैयार हैं। उधर, ईरान तालिबान व अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता करवाने की कोशिश में है, लेकिन पिछले 10 दिनों में तालिबान ने जिस तरह से खूंखार व आक्रामक रवैया अपनाया है उससे ईरान की चिंता बढ़ी है। तालिबान में सुन्नी संप्रदाय के धड़े का वर्चस्व है और इनका पारंपरिक तौर पर ईरान के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
शिया समुदाय पर कहर बरपा रहा है तालिबान
25 वर्ष पहले भी अफगान में सत्ता हथियाने के बाद तालिबानियों ने ईरान-अफगान सीमा पर रहने वाले शिया समुदाय पर कहर बरपाए थे। ऐसे में अफगानिस्तान को लेकर भारत और ईरान के बीच फिर से संपर्क तेज होने के संकेत हैं। चाबहार पोर्ट की वजह से भी भारत के लिए ईरान ज्यादा अहमियत रखता है। इन वजहों से माना जा रहा है कि मोदी सरकार की कूटनीति में ईरान को और ज्यादा तवज्जो मिलेगी।