घटता जनाधार: गुजरात निकाय चुनाव में लचर प्रदर्शन से कांग्रेस बेचैन, पार्टी हाईकमान ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं कई राज्यों में सियासी आधार सिकुड़ने के कारण कठिन चुनौतियों का सामना कर रही कांग्रेस के लिए गुजरात चिंता का नया सबब बनने लगा। सूरत नगर निगम चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन के जरिये गुजरात में आप की सियासी इंट्री से बढ़ी बेचैनी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 08:58 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 02:42 AM (IST)
घटता जनाधार: गुजरात निकाय चुनाव में लचर प्रदर्शन से कांग्रेस बेचैन, पार्टी हाईकमान ने मांगी रिपोर्ट
सियासी आधार सिकुड़ने के कारण कठिन चुनौतियों का सामना कर रही कांग्रेस।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं कई राज्यों में सियासी आधार सिकुड़ने के कारण कठिन चुनौतियों का सामना कर रही कांग्रेस के लिए गुजरात ¨चता का नया सबब बनने लगा है। सूरत नगर निगम चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन के जरिये गुजरात में आम आदमी पार्टी की सियासी इंट्री से बढ़ी बेचैनी का ही संकेत है कि कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की मौजूदा हालत की समीक्षा करने का फैसला किया है।

स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन पर हाईकमान ने मांगी रिपोर्ट

सूत्रों के अनुसार स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन को लेकर पार्टी हाईकमान ने गुजरात प्रदेश कांग्रेस से तत्काल रिपोर्ट मांगी है। इतना ही नहीं सूबे के कांग्रेस प्रभारी को भी इस बारे में अपनी आकलन रिपोर्ट देने को कहा गया है। पार्टी नेतृत्व को इस चुनाव में हार से ज्यादा सूरत में आप का प्रदर्शन परेशान कर रहा है। विधानसभा के अगले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस इसे अपने लिए नई सिरदर्दी की शुरुआत के रूप में देख रही है।

आप के जनाधार में कांग्रेस से छिटके कुछ लोगों का साथ मिला

गुजरात की सियासत अभी तक दो ध्रुवीय रही है। कांग्रेस का मानना है कि आप को जो भी समर्थन मिला है, वह उसका अपना जनाधार नहीं है, बल्कि उसे कांग्रेस से छिटके कुछ लोगों का साथ मिला है। बहरहाल दिल्ली के अनुभव को देखते हुए आप की छोटी-सी जीत भी परेशान कर रही है।

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को दी थी तगड़ी चुनौती

स्वाभाविक रूप से गुजरात निकाय चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस की बेचैनी बेवजह नहीं है। खासकर यह देखते हुए कि 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तो भाजपा को लगभग सत्ता से बाहर करने की दहलीज तक पहुंचती दिख रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंतिम दौर का धुआंधार प्रचार भाजपा को उबार ले गया। विधानसभा में भाजपा 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई थी और कांग्रेस ने 80 सीटें जीतीं। मगर तीन साल के अंदर ही कांग्रेस एक बार फिर पुराने खराब दौर की ओर लौटती दिख रही है। जाहिर तौर पर यह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की परेशानी में इजाफा करेगा।

कांग्रेस ने गुजरात में नए और युवा चेहरों को आगे कर जिम्मेदारी सौंपी

कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही गुजरात में नए और युवा चेहरों को आगे कर जिम्मेदारी सौंपी है। सियासी रूप से प्रभावशाली पाटीदारों के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हार्दिक पटेल भी सूबे में अब कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के नेता बन चुके हैं। इसी तरह पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी राजीव सातव गुजरात कांग्रेस के प्रभारी हैं। जाहिर है कि कई सवाल खड़े होने लगे हैं और समय रहते उसे दुरुस्त करना कांग्रेस की बड़ी चुनौती है।

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