सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर संसद में विपक्षी दलों की एकजुटता की कोशिश में जुटी कांग्रेस

बजट पेश होने के बाद सबसे पहले सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस कार्रवाई को उठाने की विपक्षी दलों की तैयारी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 08:35 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 08:35 PM (IST)
सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर संसद में विपक्षी दलों की एकजुटता की कोशिश में जुटी कांग्रेस
सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर संसद में विपक्षी दलों की एकजुटता की कोशिश में जुटी कांग्रेस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी-एनपीआर पर विपक्षी दलों के आपसी मतभेदों के मद्देनजर कांग्रेस अब संसद सत्र के लिए इस दूरी को पाटने की पूरी कोशिश में जुट गई है। बजट सत्र में इस मुद्दे पर सरकार की संसद में मजबूत घेरेबंदी के लिए कांग्रेस विपक्षी दलों की संयुक्त सदन प्रबंधन रणनीति को सबसे अहम मान रही है। इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सीएए-एनआरसी पर बुलाई बैठक में शामिल नहीं होने वाली तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और शिवसेना से लेकर सपा जैसे दलों से भी संपर्क साधा जा रहा है।

सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर संसद में विपक्षी दलों की संयुक्त रणनीति बनेगी 30 जनवरी को

राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और उपनेता आनंद शर्मा के साथ वरिष्ठ पार्टी रणनीतिकार अहमद पटेल संसद में विपक्षी दलों की संयुक्त रणनीति के लिए इन दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इन दलों के नेताओं से अब तक हुई अनौपचारिक बातचीत में संसद के दोनों सदनों में बड़े मसलों पर सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए संयुक्त रणनीति पर किसी तरह का विरोधाभास सामने नहीं आया है। हालांकि इस पर अंतिम सहमति 30 जनवरी को विपक्षी पार्टियों की प्रस्तावित बैठक में ही बनेगी।

कांग्रेस ने कहा- सदन में सरकार की घेरेबंदी के लिए विपक्षी पार्टियों की एकजुटता जरूरी

सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर संसद में विपक्षी दलों की एकजुटता को कांग्रेस इसलिए भी जरूरी मान रही कि बजट सत्र का पहला चरण बेहद छोटा है। ऐसे में इन मुद्दों पर सदन में सरकार की घेरेबंदी के लिए विपक्षी पार्टियों की एकजुट ताकत जरूरी है ताकि सत्तापक्ष के संख्या बल को विरोध के सुर से चुनौती दी जा सके।

बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलेगा

बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है और पहला चरण 11 फरवरी को ही समाप्त हो जाएगा। मालूम हो कि सोनिया गांधी ने 13 जनवरी को सीएए-एनआरसी-एनपीआर को लेकर विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा ही नहीं यूपीए की घटक द्रमुक और नई साथी शिवसेना तक इसमें शामिल नहीं हुई थी। विपक्षी दलों का यह बिखराव कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था और इसके मद्देनजर ही पार्टी सियासी दूरियां पाटने में लग गई है।

बजट पेश होने के बाद विपक्ष आंदोलनकारियों पर पुलिस कार्रवाई को सदन में उठाएगी

सीएए-एनआरसी के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शन के साथ इसके विरोध में आंदोलन करने वालों के विरुद्ध पुलिस की सख्त कार्रवाई के मुद्दे को बजट पेश होने के बाद सबसे पहले उठाने की विपक्षी दलों की तैयारी है। इसमें जामिया, जेएनयू, एएमयू, बीएचयू से लेकर उत्तरप्रदेश के तमाम शहरों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की संगीन कार्रवाईयों की पूरी लिस्ट संसद में रखने की योजना है।

जम्मू-कश्मीर में जारी कठोर पाबंदियां, आर्थिक मंदी व बेरोजगारी का मसला भी सदन में उठेगा

इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में जारी कठोर पाबंदियां अभी तक खत्म नहीं करने का मसला भी उठाया जाएगा। आर्थिक मंदी व बेरोजगारी के साथ लोकतांत्रिक देशों की रैकिंग में भारत के दस पायदान नीचे गिरना का मसला भी विपक्षी दलों के पांच अहम मुद्दों में शामिल है, लेकिन बजट सत्र के पहले चरण में इन सभी मुद्दों पर चर्चा की गुंजाइश नहीं है। इसीलिए विपक्षी दल सबसे पहले सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर ही अपना फोकस रखेंगे।

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