ज्योतिरादित्य सिंधिया पर व्यक्तिगत हमले करने के लिए समर्थकों पर कांग्रेस का दबाव
सत्येंद्र यादव ने कहा कि वे उपचुनाव तक अपने आपको सेवादल की जिम्मेदारी से अलग रखते हुए सामान्य कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे।
रवींद्र कैलासिया, भोपाल। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के जो समर्थक अब कांग्रेस में बचे हैं, उन पर पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता सिद्ध करने के लिए कई तरह के दबाव डाले जा रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि वे सिंधिया पर व्यक्तिगत हमले करें। इसे लेकर सेवादल मध्य प्रदेश अध्यक्ष पद से हटे सत्येंद्र यादव ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के महासचिव व प्रदेश प्रभारी रहे दीपक बाबरिया और सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई थी।
सेवादल के पूर्व प्रदेश प्रमुख सत्येंद्र यादव ने दीपक बाबरिया को लिखे पत्र में बताई थी पीड़ा
बाबरिया व देसाई को लिखे पत्र में यादव ने खुलकर कहा था कि पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा कई पीढ़ियों पुरानी है, लेकिन सिंधिया से उनकी निकटता की वजह से आज उनकी निष्ठा पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। अब उन पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वे सिंधिया पर व्यक्तिगत हमले करें। जबसे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी है, तबसे उन कांग्रेसियों के लिए परेशानियां खड़ी हो रही हैं जो कांग्रेस के प्रति निष्ठा से काम करते रहे हैं।
सिंधिया से निकटता की वजह से कई नेताओं को कांग्रेस में रहकर देनी पड़ रही है परीक्षा
पूर्व मंत्री रामनिवास रावत हों, मुरैना के जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश मावई या फिर ग्वालियर के जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा या सेवादल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र यादव, इन्हें लगातार परीक्षा देनी पड़ रही है। रावत को पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की बैठक में एक विधायक ने झिड़क दिया था। सत्येंद्र यादव को तो अपनी निष्ठा जताने के लिए दो बार परीक्षा देनी पड़ी। पहली बार जब सिंधिया ने पार्टी छोड़ी थी और उनके बारे में लोगों ने प्रचार कर दिया था कि अब यादव भी कांग्रेस छोड़ देंगे तो उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष देसाई को पार्टी में सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम करने की बात कहते हुए पद से इस्तीफा भी भेज दिया था। मगर देसाई ने उन्हें काम करते रहने को कहा था।
कांग्रेस के प्रति परिवार की आस्था जताई
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सत्येंद्र यादव पर सिंधिया को लेकर अशिष्ट टिप्पणी वाले व्यक्तिगत हमले के लिए दबाव बनाया गया तो उन्होंने तत्कालीन प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने अपने पिता मूलचंद यादव के सुभाषचंद्र बोस से निकट संबंधों का जिक्र करते हुए लिखा था कि बोस के कांग्रेस छोड़ने पर भी पिता पार्टी में बने रहे थे। वे उसी परिवार से हैं और उनकी भी सिंधिया से निकटता रही है, लेकिन आज भी उनकी आस्था कांग्रेस के प्रति है।
यादव ने कहा- सिंधिया ने कांग्रेस को धोखा दिया
यादव ने पत्र में लिखा कि रोज-रोज उन पर दबाव बनाया जाता है। यादव ने कहा कि सिंधिया ने कांग्रेस को धोखा दिया, यह वे कई बार कह चुके हैं, लेकिन अशिष्ट टिप्पणी के व्यक्तिगत हमले उनकी नैतिकता व संस्कार में नहीं हैं।
उपचुनाव तक प्रदेश से दूर की जिम्मेदारी मांगी
सूत्र बताते हैं कि सिंधिया के पार्टी छोड़ने के तीन महीने बाद तक जब परिस्थितियां नहीं बदली हैं तो यादव ने एक बार फिर लालजी देसाई को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त करने को कहा। यादव ने उसमें भी पीड़ा जताई कि उन पर आज भी अविश्वास किया जा रहा है, इसलिए वे उपचुनाव तक अपने आपको सेवादल की जिम्मेदारी से अलग रखते हुए सामान्य कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे।