उप्र में गठबंधन की संभावना तलाश रही कांग्रेस, सपा समेत अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन के विकल्पों पर विचार
उत्तर प्रदेश में दशकों से कमजोर संगठनात्मक ढांचे की चुनौती से रूबरू हो रही कांग्रेस के लिए सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखना आसान नहीं हो रहा। ऐसे में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में गठबंधन की संभावना तलाशने की कोशिश करेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन की संभावनाएं तलाशने को लेकर कांग्रेस में सियासी सरगर्मी शुरू हो गई है। समझा जाता है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी समेत अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन के विकल्पों पर बातचीत हुई।
सोनिया गांधी और प्रियंका से कमल नाथ की मुलाकात में हुई इस पर चर्चा
उत्तर प्रदेश में दशकों से कमजोर संगठनात्मक ढांचे की चुनौती से रूबरू हो रही कांग्रेस के लिए सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखना आसान नहीं हो रहा। ऐसे में सूबे के चुनाव के साथ अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी राजनीति को ट्रैक पर कायम रखने के लिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में गठबंधन की संभावना तलाशने की कोशिश करेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस संगठन में बदलावों की हो रही चर्चा के बीच कमल नाथ की हाईकमान से उत्तर प्रदेश में गठबंधन के मुद्दे पर भी बातचीत हुई।
प्रशांत किशोर ने दी सूबे में गठबंधन की पहल करने की सलाह
बताया जाता है कि बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी की जीत के मुख्य सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन के हिमायती हैं। प्रशांत किशोर ने बीते दिनों पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से हुई अपनी लंबी चर्चा के दौरान सूबे में गठबंधन की पहल करने की सलाह दी थी। सोनिया गांधी और कमल नाथ की मुलाकात के दौरान प्रियंका की मौजूदगी भी इस बात का संकेत है कि सपा के साथ गठबंधन की संभावना तलाशने पर पार्टी में गंभीरता से विचार शुरू हो गया है।
विधानसभा चुनाव विपक्षी दलों के लिए बेहद निर्णायक
हालांकि, सूबे में सपा और कांग्रेस के बीच हुए चुनावी गठबंधन की विफलता दोनों पार्टियों की राह में बड़ी चुनौती है। कांग्रेस की चुनौती इसलिए भी ज्यादा बड़ी है कि प्रियंका खुद सूबे में पार्टी की चुनावी रणनीति की कमान संभाल रही हैं। वैसे सियासी चर्चा यह भी है कि प्रशांत किशोर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी यह संदेश दिया है कि 2024 में भाजपा को चुनौती देने के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव विपक्षी दलों के लिए बेहद निर्णायक है। ऐसे में समाजवादी पार्टी को भी राजनीतिक वास्तविकता की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। कमल नाथ की पार्टी नेतृत्व से हुई चर्चा के संकेतों से साफ है कि वे सपा, रालोद व अन्य दलों के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन के प्रयासों पर पहल कर सकते हैं।