चुनावी माहौल में असंतुष्टों के जमावड़े से कांग्रेस हाईकमान की मुसीबत बढ़ी, नरमी से दी नसीहत

पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले असंतुष्टों के बागी तेवर के खुले तौर पर सामने आने से कांग्रेस नेतृत्व की चुनौती काफी बढ़ गई है। हालात बेकाबू न हों इसलिए पार्टी ने आक्रामक रुख दिखाने के बजाय उन्हें दोस्ताना नसीहत देना ही मुफीद समझा।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 08:38 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 08:38 PM (IST)
चुनावी माहौल में असंतुष्टों के जमावड़े से कांग्रेस हाईकमान की मुसीबत बढ़ी, नरमी से दी नसीहत
असंतुष्ट जी 23 समूह के नेताओं के जम्मू में जमावड़े पर

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। असंतुष्ट जी 23 समूह के नेताओं के जम्मू में जमावड़े पर कांग्रेस ने सतर्क प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने असंतुष्ट नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रति इनकी सच्ची निष्ठा तभी होगी जब वे उन पांच राज्यों में अभियान चलाएं जहां चुनाव होने हैं। पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले असंतुष्टों के बागी तेवर के खुले तौर पर सामने आने से कांग्रेस नेतृत्व की चुनौती काफी बढ़ गई है। हालात बेकाबू न हों इसलिए पार्टी ने आक्रामक रुख दिखाने के बजाय उन्हें दोस्ताना नसीहत देना ही मुफीद समझा। 

अनुशासनात्मक कार्रवाई के सवाल को टाला 

कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में जम्मू में जमावड़े को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से जुड़े सवालों को पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने टाल दिया। इसके विपरीत असंतुष्टों के प्रति आदर दिखाते हुए सिंघवी ने कहा कि जो लोग जम्मू गए हैं, वे कांग्रेस के सम्मानित नेता हैं। सभी कांग्रेस परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें गर्व है कि ये पार्टी का हिस्सा हैं। सिंघवी ने इस टिप्पणी से इन नेताओं की पार्टी में अहमियत का संदेश तो दिया मगर लगे हाथ दोस्ताना नसीहत देने से भी गुरेज नहीं किया। 

पार्टी ने कहा, ये सभी उन पांच चुनावी राज्यों में अभियान चलाएं जहां कांग्रेस संघर्ष कर रही

सिंघवी ने कहा कि इन नेताओं के लिए यह ज्यादा उपयुक्त होता कि जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं,  वहां कांग्रेस का हाथ मजबूत किया जाता। गुलाम नबी आजाद का इस्तेमाल कर छोड़ देने के आरोप पर सिंघवी ने कहा कि जो कांग्रेस का इतिहास और संस्कृति को नहीं जानते वही ऐसी बातें करते हैं। आजाद ने तो कभी ऐसी शिकायत नहीं की। इंदिरा गांधी से लेकर संप्रग की दोनों सरकारों तक आजाद करीब तीन दशक तक केंद्रीय मंत्री रहे। इस अवधि में वे कांग्रेस महासचिव, दो बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे। सोनिया गांधी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री मनोनीत किया। वे एक सफल सीएम साबित हुए। इस सब पर कांग्रेस को भी गर्व है और आजाद को भी। 

असंतुष्टों के निशाने पर राहुल गांधी

सिंघवी ने कहा कि जिन लोगों ने 'इस्तेमाल' शब्द का प्रयोग किया, वे इसकी अहमियत को नहीं समझ सकते। उल्लेखनीय है असंतुष्टों के निशाने पर राहुल गांधी हैं। जम्मू की सभा में गुलाम नबी आजाद ने इस ओर साफ इशारा भी किया है। असंतुष्टों का यह समूह कांग्रेस के घटते जनाधार का सवाल उठाते हुए देश भर में ऐसे जमावड़ों की तैयारी कर चुका है। जाहिर तौर पर पांच राज्यों के चुनाव के दौरान इनके बागी तेवरों को शांत करना नेतृत्व के लिए कठिन चुनौती होगी है। 

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