व्यापम घोटाले की जांच से कांग्रेस संतुष्ट नहीं, फिर पहुंची कोर्ट

जांच से संतुष्ट नहीं होने पर कांग्रेस दोबारा कोर्ट की शरण में गई है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 10:18 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 12:14 AM (IST)
व्यापम घोटाले की जांच से कांग्रेस संतुष्ट नहीं, फिर पहुंची कोर्ट
व्यापम घोटाले की जांच से कांग्रेस संतुष्ट नहीं, फिर पहुंची कोर्ट

नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की जांच से कांग्रेस संतुष्ट नहीं है। यही वजह है कि वह फिर से कोर्ट पहुंची है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि प्रकरण में सभी जांच एजेंसियों एसटीएफ, एसआइटी और सीबीआइ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, मिनिस्टर वन, टू और थ्री को बचाया है। जांच से संतुष्ट नहीं होने पर कोर्ट की शरण ली गई है। उन्होंने कहा कि सीएम ने व्यापम में 48 बार अनुशंसा की थी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सीएफएसएल ने हार्डडिस्क की जांच रिपोर्ट दिसंबर 2016 में दी तो नवंबर 2016 में मुख्यमंत्री को सीबीआइ ने क्लीनचिट कैसे दे दी।

सिब्बल शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे, जिसमें कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी मौजूद थे। सिब्बल ने कहा कि जांच एजेंसियों से विश्वास उठने के बाद हमने निजी इस्तगासा पेश कर लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। तन्खा ने बताया कि तीन-चार महीने की मेहनत के बाद 27 हजार दस्तावेज जुटाकर तीन दिन पहले भोपाल की विशेष अदालत में याचिका लगाई गई है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शिकायतकर्ता हैं और आरोपितों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अपर पुलिस महानिदेशक विपिन माहेश्वरी व अन्य हैं। आरोपितों पर साक्ष्य से छेड़छाड़ के आरोप हैं।

पांच साल पहले हार्ड डिस्क में हुई थी टेंपरिंग
व्यापम मामले में आरोपित नितिन महिंद्रा से जब्त कम्प्यूटर हार्ड डिस्क की एक्सल शीट से 18 जुलाई 2013 की शाम 4:20 बजे से रात आठ बजे के बीच टेंपरिंग कर सीएम शब्द हटाया गया था। इस संबंध में बेंगलुरू की ट्रुथ लैब में उल्लेख किया गया है। यह बात कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने व्यापम मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री उमा भारती सहित आठ लोगों को आरोपित बनाए जाने के लिए लगाई याचिका के पंजीयन पूर्व बयानों में कही है।

विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह की अदालत में दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे के बीच दिग्विजय सिंह के बयान दर्ज किए गए। अपने बयानों में सिंह ने आरोप लगाया कि व्यापम घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला है, जो कि निरंतर सात साल तक सीएम शिवराज सिंह की नाक के नीचे होता रहा। मामले में दो हजार से अधिक लोगों को आरोपित बनाया गया, लेकिन सीएम शिवराज, केंद्रीय मंत्री उमाभारती सहित अन्य मंत्रियों और अधिकारियों को आरोपित नहीं बनाया गया।

मप्र पुलिस, एसटीएफ ने प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर उनके नामों का उल्लेख होने के बाद भी उन्हें आरोपित नहीं बनाया। सीबीआइ ने भी जांच में ईमानदारी नहीं बरती। जिस समय सिंह जी-11 रूम में बयान देने पहुंचे, उसी समय व्यापम मामले का मुख्य आरोपित नितिन महिंद्रा भी व्यापम विशेष न्यायाधीश बीएल साहू की जी-7 रूम के सामने बैठकर सारी कार्रवाई पर नजर रखे हुए था। हालांकि, उसकी कोर्ट में किसी भी मामले में पेशी नहीं थी।

चुनाव के समय अदालत जा रही कांग्रेस
व्यापम मामले में कांग्रेस के आरोपों पर जनसंपर्क और जल संसाधन मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि चुनाव के समय जनता के पास जाने की बजाय कांग्रेस अदालत की शरण ले रही है। कांग्रेस ने जो आरोप लगाए हैं, उसमें कुछ नया नहीं है। मैं इस संबंध में सात साल में 14 बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुका हूं। कांग्रेस ने जो आरोप लगाए हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। कांग्रेस के पास शिवराज सिंह चौहान का कोई तोड़ नहीं है, इसलिए अब चुनाव के समय मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के लिए वह बार-बार अदालत जा रही है।

कांग्रेस चुनाव हारेगी तो ईवीएम खराब होने का आरोप लगाएगी। नरोत्तम ने कहा कि एफएसएल की रिपोर्ट में साफ हो गया है कि हार्ड डिस्क में टेंपरिंग नहीं हुई है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि सीबीआइ को एफएसएल की रिपोर्ट बाद में मिली, लेकिन अदालत में उसने पहले ही क्लीनचिट दे दी। इस आरोप पर नरोत्तम ने कोई जवाब नहीं दिया।

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