Madhya Pradesh: गोडसे प्रशंसक के पार्टी में आने से एक बार फिर सतह पर कांग्रेस की गुटबाजी

ग्वालियर के पूर्व पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कमल नाथ की मौजूदगी में गुरुवार को कांग्रेस में शामिल किया गया था। हिंदू महासभा के नेता रहे चौरसिया गोडसे की प्रतिमा की पूजा करने को लेकर चर्चा में रहे हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 10:32 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 10:36 PM (IST)
Madhya Pradesh: गोडसे प्रशंसक के पार्टी में आने से एक बार फिर सतह पर कांग्रेस की गुटबाजी
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और पूर्व पार्षद बाबूलाल चौरसिया की फाइल फोटो

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। नाथूराम गोडसे की प्रतिमा की पूजा करने वाले बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में आने से मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी एक बार फिर सतह पर आ गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ पर निशाना साधते हुए पार्टी के अन्य नेताओं के मौन पर सवाल उठाया है। उन्होंने खुद को गांधी विचारधारा का कार्यकर्ता बताते हुए सवाल पूछा है कि क्या भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी कल कांग्रेस में आना चाहेंगी तो उनका स्वागत किया जाएगा? उन्होंने यह भी कह दिया कि मेरा यह संघर्ष कांग्रेस की विचारधारा को समर्पित है। इसके लिए मैं हर राजनीतिक क्षति सहने को तैयार हूं। दूसरी तरफ इसे पार्टी हाईकमान से अलग समानांतर कांग्रेस की शुरुआत माना जा रहा है।

दरअसल, ग्वालियर के पूर्व पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कमल नाथ की मौजूदगी में गुरुवार को कांग्रेस में शामिल किया गया था। हिंदू महासभा के नेता रहे चौरसिया गोडसे की प्रतिमा की पूजा करने को लेकर चर्चा में रहे हैं। कांग्रेस में उनके प्रवेश को रणनीतिक विफलता ठहराया जा रहा है, क्योंकि जिस विचारधारा के खिलाफ कांग्रेस गांधीवाद पर चलकर लड़ाई लड़ती रही है, उसी के प्रशंसक को अपनाकर प्रदेश कांग्रेस ने राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

कमल नाथ के माफी न मांगने पर प्रियंका गांधी का दौरा हो गया था रद

इस घटनाक्रम से बड़ा सवाल यह भी उभरकर सामने आया है कि क्या गांधी परिवार के सामने समानांतर कांग्रेस खड़ी करने की कोशिशें हो रही हैं? या यह आलाकमान के सामने कमल नाथ की नकारात्मक छवि पेश करने की कवायद है। कांग्रेस के ही नेता कह रहे हैं कि पहले से ही मध्य प्रदेश कांग्रेस गांधी परिवार के समानांतर काम कर रही है। पिछले दिनों हुए विधानसभा उपचुनाव में कमल नाथ ने पूर्व मंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का उपयोग किया था। उस पर राहुल गांधी तक ने माफी मांगी, लेकिन कमल नाथ ने माफी नहीं मांगी थी। इस विवाद के चलते उपचुनाव के दौरान प्रियंका गांधी का प्रदेश का प्रस्तावित दौरा रद हो गया था।

वैसे मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी नई बात नहीं है, इसी के चलते कमल नाथ सरकार गिर गई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी राह अलग कर ली थी। अब भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सियासी हाशिये पर हैं। वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह चुनाव ही हार गए। केंद्रीय मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया अब विधायक के रूप में सियासी सफर के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गए हैं। इधर, कमल नाथ के प्रभाव के बीच पार्टी में कोई नया नेतृत्व तैयार नहीं हो सका है।

यही तो असली गांधीवाद है: मिश्रा

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव (मीडिया) केके मिश्रा कहते हैं कि चौरसिया की कांग्रेस में एंट्री से आपत्ति क्या है। दरअसल, आपको विचार करना चाहिए कि गांधी की विचारधारा के चलते ही राहुल-प्रियंका ने अपने पिता की हत्यारी महिला को माफ कर दिया था। यही असली गांधीवाद है। कांग्रेस में लोकतंत्र है। सहमति और असहमति पर चर्चा निरंतर होती रहती है। भाजपा इस प्रसंग का राजनीतिक लाभ नहीं ले पाएगी।

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