पांच राज्यों में कांग्रेस की हार की समीक्षा को बनेगी समिति, कार्यसमिति में लिया गया सर्वसम्मत फैसला
कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर टल गया है। हालांकि पार्टी में लंबे अर्से से जारी असंतोष के बीच अध्यक्ष का चुनाव टालने पर कांग्रेस कार्यसमिति में कोई मतभेद नहीं था और फैसला सर्वसम्मति से हुआ।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव कोरोना महामारी के चलते एक बार फिर टल गया है। हालांकि पार्टी में लंबे अर्से से जारी असंतोष के बीच अध्यक्ष का चुनाव टालने पर कांग्रेस कार्यसमिति में कोई मतभेद नहीं था और फैसला सर्वसम्मति से हुआ। वहीं पांच राज्यों की हार पर पार्टी में उभरते असंतोष के सुर को थामने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने इसकी समीक्षा के लिए तत्काल एक समिति बनाने का भी एलान किया है। यह समिति 48 घंटे में गठित करने की बात कही गई है।
कोरोना से पूरी तरह ठीक ने होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हुए राहुल गांधी
कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक में कुछ नेताओं ने पांच राज्यों में हार के लिए गठबंधन को लेकर पार्टी की विरोधाभासी नीति को लेकर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा कि हार के इस झटके को गंभीरता से लेते हुए अपने संगठन को दुरूस्त करना होगा। इस बैठक में राहुल गांधी शामिल नहीं हुए।
बताया जाता है कि वे कोरोना से अभी पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की यह बैठक विशेष रूप से पांच राज्यों में चुनावी हार पर बेबाक चर्चा और मंथन के लिए बुलाई गई थी मगर सबसे पहले नए अध्यक्ष का चुनाव टालने का सर्वसम्मति से फैसला हुआ।
कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने कार्यसमिति के समक्ष 23 जून को अध्यक्ष का चुनाव कराने का कार्यक्रम रखा। इस पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के मौजूदा कहर को देखते हुए संगठन चुनाव कराने का यह वाजिब समय नहीं है। सूत्रों के मुताबिक इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे और हरीश रावत ने असंतुष्ट नेताओं को लक्ष्य करते हुए कहा कि चुनाव टाले जाने को लेकर पहले से ही कुछ लोग प्रतिकूल बातें कह रहे हैं और फिर सवाल उठाए जाएंगे।
असंतुष्ट खेमे ने गठबंधन पर पार्टी के विरोधाभासी रुख पर उठाए सवाल
पार्टी के असंतुष्ट समूह 'जी 23' के नेता गुलाम नबी आजाद ने खड़गे और रावत की खिंचाई करते हुए कहा कि वे भ्रामक बातें न करें और ऐसी बात कहने वाले का नाम बताएं। इसके बाद आजाद और आनंद शर्मा ने भी अध्यक्ष का चुनाव महामारी के बीच में नहीं कराने की बात का पूरा समर्थन किया। कार्यसमिति ने इसके उपरांत अध्यक्ष का चुनाव अस्थायी रूप से टालने का सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर दिया।
वहीं सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया कि चुनाव लंबा नहीं टलेगा। कोरोना के हालात सामान्य होते ही जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएंगे। कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने भी स्पष्ट कहा कि अध्यक्ष का चुनाव अनंतकाल नहीं बल्कि दो से तीन महीने के लिए टाला गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में असंतोष के मुखर रूप में सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर-जनवरी तक कराने का कार्यसमिति ने फैसला किया था। संगठनात्मक दिक्कतों और पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए इसे जून तक टाला गया और अब कोरोना के चलते चुनाव टालना मजबूरी बन गई है। इसके बाद कार्यसमिति में पांच राज्यों की हार पर चर्चा शुरू हुई।
एक-एक कर इन पांचों राज्यों के प्रभारियों ने हार को लेकर अपने-अपने आकलन पेश किए तो कुछ एक ने सफाई देने की कोशिश भी की। चूंकि सोनिया गांधी ने पहले ही पांचों राज्यों की हार का व्यापक विश्लेषण करने के लिए समिति बनाने की बैठक में घोषणा कर दी, इसलिए नेताओं के पास एक सीमा से ज्यादा चर्चा करने की गुंजाइश नहीं बची।
गुलाम नबी आजाद ने बंगाल में गठबंधन के फैसले पर सवाल उठाया
सूत्रों ने बताया कि गुलाम नबी आजाद ने जरूर बंगाल में इंडियन सेक्यूलर फ्रंट के साथ गठबंधन के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि चाहे राज्यों के स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए। इस पर विचार-विमर्श के लिए पार्टी का एक तंत्र होना चाहिए जो आम सहमति से गठबंधन पर निर्णय ले सके।
आजाद ने सवाल उठाया कि आखिर आइएसएफ के साथ गठबंधन कर कांग्रेस ने लोगों के बीच और राजनीतिक लिहाज से भी ममता बनर्जी के लिए क्या संदेश दिया। इसी तरह असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआइयूडीएफ के साथ गठबंधन को लेकर भी काफी तीखे सवाल उठाए गए।
समझा जाता है कि बंगाल के प्रभारी जितिन प्रसाद ने भी हार को लेकर अपना आकलन पेश करने के दौरान गठबंधन पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग नजरिये में स्पष्टता की जरूरत बताई। उनका कहना था कि राष्ट्रीय स्तर पर ममता के साथ और बंगाल में वहां की इकाई के अनुरूप वामदलों से गठबंधन के विरोधाभास को खत्म कर पार्टी को अपने राजनीतिक नजरिये और प्राथमिकता को स्पष्ट करना होगा।
सूत्रों के मुताबिक आनंद शर्मा ने आजाद की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि आत्मचिंतन कांग्रेस की संस्कृति का हिस्सा है। इस संदर्भ में राहुल गांधी की टिप्पणी की वे सराहना करते हैं।
सोनिया गांधी ने हार को गंभीरता से लेते हुए कहा, अपना घर करना होगा दुरुस्त
मालूम हो कि जी 23 के असंतोष को लेकर राहुल ने कहा था कि यह कांग्रेस में ही हो सकती है। अधिनायकवाद की चुनौती का मुकाबला करने की जरूरत बताते हुए शर्मा ने परोक्ष रूप से विपक्षी एकजुटता की वकालत करते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों को एक साथ मिलकर आवाज उठानी होगी। इससे पूर्व सोनिया गांधी ने कार्यसमिति के अपने संबोधन में कहा कि हमें इसे समझना होगा कि केरल और असम में मौजूदा सरकारों को हटाने में हम विफल क्यों रहे।
बंगाल में हमारा खाता तक क्यों नहीं खुला। इन सवालों के कुछ असहज करने वाले सबक जरूर होंगे, लेकिन अगर हम वास्तविकता का सामना नहीं करेंगे और तथ्यों को सही ढंग से नहीं देखेंगे तो हम सही सबक नहीं ले पाएंगे। सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के एलान के अनुरूप हार की समीक्षा के लिए गठित होने वाली समिति 48 घंटे में गठित हो जाएगी।