चिदंबरम का केंद्र पर आरोप, कहा- किसानों के साथ दुश्मनों सा कर रहा व्यवहार

देश में जारी किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने केंद्र की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मंदी के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.9 फीसद की बढ़ोतरी के बाद किसानों के साथ सरकार दुश्मनों सा व्यवहार कर रही है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 02:52 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 03:41 PM (IST)
चिदंबरम का केंद्र पर आरोप, कहा- किसानों के साथ दुश्मनों सा कर रहा व्यवहार
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने की केंद्र की निंदा

नई दिल्ली, एएनआइ। देश में जारी किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को केंद्र की निंदा की है।  उन्होंने कहा कि मंदी के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.9 फीसद की बढ़ोतरी के बाद इनाम के तौर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ सरकार दुश्मनों सा व्यवहार कर रही है।  चिदंबरम ने ट्वीट कर सरकार पर ये आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी केरल से असम गए लेकिन दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने के लिए उनके पास समय नहीं था जिसके लिए मात्र 20 किलोमीटर ही चलना था।' उन्होंने यह भी दावा किया, ' केवल 6 फीसद किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बिक्री कर सकते हैं। अभी भी उनका कहना है कि उन्होने किसानों की आय दोगुनी कर दी है। वो यह भी दावा करेंगे कि सभी किसानों को MSP मिलेगा जबकि सच्चाई है कि केवल 6 फीसद किसान ही MSP पर बिक्री कर सकेंगे।' 

इससे पहले सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों को खेती से जुड़े व्यापारों को बर्बाद करने के लिए लाया गया और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों को दे दिया गया। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) का बयान आया कि सरकार ने किसानों के साथ तीन कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए अपना दरवाजा खुला रखा है। बता दें कि इन कानूनों के विरोध में गत 26 नवंबर से किसान दिल्ली की विभिन्न बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले 1 फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट को लेकर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के लोगों को धोखा दिया है और इससे पहले कभी भी बजट से इतनी निराशा नहीं हुई।

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