वन कानून में बदलाव के ड्राफ्ट को केंद्र सरकार ने लिया वापस, आदिवासियों के अधिकारों से कोई छेड़छाड़ नहीं
जावडेकर ने कहा कि मोदी सरकार शुरु से ही आदिवासियों और वनवासियों के हितों को लेकर काम कर रही है। हमने उनके लिए काफी नई वित्तीय और कल्याणकारी योजनाएं शुरु की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। झारखंड चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने आदिवासियों को राहत देने वाली एक बड़ी घोषणा की है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने शुक्रवार को अपने तथाकथित वन कानून में बदलाव के ड्राफ्ट को वापस ले लिया है। मार्च में इस ड्राफ्ट को राज्यों के पास मशविरे के लिए भेजा गया था, लेकिन इसको लेकर आदिवासियों के बीच उनके अधिकारों को लेकर भ्रम पैदा किया जाने लगा था। ऐसे में सरकार ने ड्राफ्ट को ही वापस लेने और उसे रद्द करने की घोषणा की है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। साथ ही यह भी साफ किया कि जिस ड्राफ्ट को लेकर आदिवासियों के बीच भ्रम पैदा किया जा रहा था, 'वह सरकार का ड्राफ्ट नहीं था, बल्कि उसे मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने तैयार किया था। जिसे राज्यों के पास सुझाव के लिए भेजा गया था।'
केंद्र और राज्य साथ-साथ करें काम
सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि कई राज्यों की ओर से अलग अलग फारेस्ट एक्ट बनाए जा रहे थे और ऐसे में अधिकारियों ने एक ड्राफ्ट तैयार किया था। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट को तैयार करने के पीछे उद्देश्य सिर्फ इतना था, कि वनों से जुड़ी गतिविधियों में केंद्र और राज्य साथ-साथ काम करें। लेकिन जब इसे सुझाव के लिए भेजा गया, तो पाया गया कि ज्यादातर राज्यों के पास पहले से ही इसे लेकर बेहतर कानून है।
वनवासियों के हितों के लिए काम कर रही मोदी सरकार
जावडेकर ने कहा कि मोदी सरकार शुरु से ही आदिवासियों और वनवासियों के हितों को लेकर काम कर रही है। हमने उनके लिए काफी नई वित्तीय और कल्याणकारी योजनाएं शुरु की है। जिसमें उन्हें वन उपज पर ज्यादा समर्थन मूल्य मिल रहा है।
इसके साथ ही पिछले पांच सालों में लाखों हेक्टेयर भूमि पर उन्हें मालिकाना हक दिया गया है। इस घोषणा के वक्त उनके साथ आदिवासी मामले के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद थे। उन्होंने सरकार की इस घोषणा पर खुशी जताते हुए कहा कि बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर सरकार की यह घोषणा एक सराहनीय कदम है।