येद्दयुरप्पा की डायरी के पन्ने हैं फर्जी, आयकर विभाग ने जारी किया स्पष्टीकरण

आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला ही संदिग्ध मालूम पड़ता है क्योंकि वह मूल कागज नहीं थे और असली कागज कहीं उपलब्ध ही नहीं हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 10:41 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 12:21 AM (IST)
येद्दयुरप्पा की डायरी के पन्ने हैं फर्जी, आयकर विभाग ने जारी किया स्पष्टीकरण
येद्दयुरप्पा की डायरी के पन्ने हैं फर्जी, आयकर विभाग ने जारी किया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। कांग्रेस के हंगामे के बाद आयकर विभाग ने स्पष्ट किया कि उसने 'येद्दयु डायरी' को संदिग्ध माना है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा पर 1800 करोड़ रुपये भाजपा नेताओं को देने के आरोपों को आयकर विभाग ने एक तरह से फर्जी मानते हुए कहा कि डेढ़ साल पहले के छापे में उसे डीके शिवकुमार के परिसर से डायरी के पन्ने और कुछ लूज पेपर मिले थे।

इन पन्नों में कुछ लोगों के नामों के आगे कुछ आंकड़े लिखे हुए थे। आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह मामला ही संदिग्ध मालूम पड़ता है, क्योंकि वह मूल कागज नहीं थे और असली कागज कहीं उपलब्ध ही नहीं हैं।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके कहा है कि 2 अगस्त, 2017 को आयकर विभाग ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के घर में छापेमारी के दौरान वर्ष 2009 की डायरी के पन्नों की जिराक्स कॉपी जब्त की थी। शिवकुमार ने आयकर विभाग को दिए अपने बयान में कहा था कि यह पन्ने बीएस येद्दयुरप्पा के हाथों लिखी डायरी के पन्नों की फोटो कॉपी है। डायरी के इन पन्नों के मुताबिक येद्दयुरप्पा ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनकी ओर से निर्वाचित सदस्यों को धन दिया गया था। इस धन को पाने वालों में विभिन्न नेता, विधायक और मंत्री थे।

कारवां नाम की एक पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि यह रकम पाने वालों में वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ ही भाजपा के केंद्रीय समिति के कई सदस्यों और विधायक दल को भी मिला है। फिलहाल इन तीनों मंत्रियों की तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। लेकिन येद्दयुरप्पा ने इस आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।

सीबीडीटी ने अपने बयान में कहा है कि लूज शीट को जांच और उसके विश्लेषण के लिए हैदराबाद स्थित सेंट्रल फारेंसिक साइंस लैबोरेट्री भेजा गया था। लिखावट और दस्तखतों की जांच के बाद इस लैब ने कहा था कि उसे जांच के लिए मूल कागज की जरूरत है। सीबीडीटी ने बताया कि कांग्रेस नेता शिवकुमार की ओर से कोई मूल कागज नहीं दिए गए थे।

आयकर विभाग ने कहा कि मूल कागज की जगह का ब्योरा और वह किसके पास है, यह जानकारी उन्हें नहीं है। इसलिए वह लूज कागज प्रथम दृष्टया संदिग्ध लगते हैं। और यह कागज खुद उस व्यक्ति ने दिए थे जिसके यहां आयकर विभाग की छापेमारी पड़ रही थी। यहां तक कि शिवकुमार ने उन्हें यह जानकारी कहां से मिली इस तक की जानकारी नहीं दी थी।

chat bot
आपका साथी