नई इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी, पांच साल में मिलेंगे एक करोड़ रोजगार

कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि साल 2014 के बाद देश के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में तेज वृद्धि देखी गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 10:13 PM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 10:13 PM (IST)
नई इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी, पांच साल में मिलेंगे एक करोड़ रोजगार
नई इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी को कैबिनेट की मंजूरी, पांच साल में मिलेंगे एक करोड़ रोजगार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक परिदृश्य और देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के बदले स्वरूप को और मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने नई राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत देश में न केवल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का पूर्ण इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा बल्कि साल 2025 तक 400 अरब डालर के उत्पादन स्तर तक पहुंचने का लक्ष्य भी तय किया गया है। नई नीति में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए कई नई स्कीमों का प्रावधान भी किया गया है। इससे अगले पांच-छह साल में देश में एक करोड़ नए रोजगार का सृजन होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी (एनईपी) 2019 को स्वीकृति प्रदान कर दी। देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए नीति में चार नई स्कीम शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है। इनमें इकाई स्थापित करने के लिए इंट्रेस्ट सबवेन्शन स्कीम, क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर्स 2.0 और सॉवरेन पेटेंट फंड की स्थापना के प्रस्ताव शामिल हैं।

कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि साल 2014 के बाद देश के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में तेज वृद्धि देखी गई है। बीते चार साल से उत्पादन में 26.7 फीसद की सालाना वृद्धि हो रही है। नई नीति पर अमल से 2025 तक वृद्धि की दर 32 फीसद सालाना हो जाने की उम्मीद है। उत्पादन का स्तर साल 2014-15 के 190366 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 387525 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है। प्रसाद ने कहा कि पिछली नीति साल 2012 में उस वक्त बनी थी जब देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का आधार बहुत छोटा था। लेकिन आज की तारीख में स्थिति बदल चुकी है। न केवल देश में मांग बढ़ रही है बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी काफी अधिक हुई है। नई इलेक्ट्रॉनिक्स नीति बनाते वक्त इन सभी अपेक्षाओं को ध्यान में रखा गया है।

इंट्रेस्ट सबवेन्शन स्कीम के तहत प्लांट और मशीनरी के लिए एक हजार करोड़ रुपये तक के लोन पर 4 फीसद ब्याज की छूट का प्रस्ताव किया गया है। इससे अधिक की राशि के कर्ज पर सब्सिडी की राशि की सीमा एक हजार करोड़ रुपये रहेगी। ब्याज छूट के विषय पर वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के साथ आगे चर्चा करने के बाद विस्तृत ब्यौरा तैयार किया जाएगा।

दूसरी स्कीम क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम है जिसके अंतर्गत एक कोष का गठन किया जाएगा जो प्लांट व मशीनरी पर कंपनियों को दिये जाने वाले 100 करोड़ रुपये के लोन पर बैंकों को 75 फीसद की गारंटी इस फंड से दी जाएगी। इससे नए व छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें बैंकों थर्ड पार्टी गारंटी अथवा कोलेटरल देने की आवश्यकता नहीं होगी।

नई नीति के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में नए क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि इस स्कीम के तहत एक बड़ी कंपनी के साथ साथ कंपोनेंट बनाने वाली कई इकाइयों का एक पूरा इकोसिस्टम स्थापित किया जाएगा। इससे न केवल कंपनियों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी बल्कि देश को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने और निर्यात में वृद्धि का लाभ भी मिलेगा।

देश में चिप निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई नीति में सावरेन पेटेंट फंड स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। इस फंड के जरिए चिप व चिप कंपोनेंट प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे भारतीय चिप निर्माताओं की लागत में कमी आएगी।

नई नीति की खास बातें

1. चार नई स्कीमों का ऐलान

2. 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग में 32 फीसद की सालाना वृद्धि

3. पांच साल में एक करोड़ नए रोजगार का सृजन

4. देश बनेगा इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग का हब, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

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