किसान नेताओं और सरकार की बातचीत में कहां आ रही है अड़चन, केंद्र ने बताई वजह
केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं तो अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्द समाधान हो सकता था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। तीनों नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को होने वाली 10वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्ष मामले का जल्द समाधान चाहते हैं, लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है। सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं।
सरकार और आंदोलनकारी 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में 10वें दौर की वार्ता प्रस्तावित है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, 'जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है, लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं तो अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्द समाधान हो सकता था।'
यह भी पढ़ें: Farmers Protest: बातचीत से पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, किसानों की दशा व दिशा बदलेंगे नए कृषि कानून
उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं। दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं, लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं इसलिए विलंब हो रहा है। कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा।
10वें दौर की वार्ता से पहले मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के 270 कृषि उत्पादक संघों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को रूपाला से मुलाकात की और तीनों कानूनों को वापस नहीं लेने की अपील की। इस बैठक में दूसरे कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।