पूर्व प्रधानमंत्रियों से तुलना कर सुब्रमण्यम स्वामी ने दीदी की राष्ट्रीय उम्मीदों को दी हवा, जानें इसके मायने

सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की शख्सियत की तुलना मोराराजी देसाई राजीव गांधी चंद्रशेखर और पीवी नरसिंह राव जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों से कर दीदी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को हवा देने का काम किया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 07:51 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 01:08 AM (IST)
पूर्व प्रधानमंत्रियों से तुलना कर सुब्रमण्यम स्वामी ने दीदी की राष्ट्रीय उम्मीदों को दी हवा, जानें इसके मायने
सुब्रमण्यम स्वामी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से बुधवार को मुलाकात कर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी...

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुर्खियों के पर्याय माने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से बुधवार को मुलाकात कर सियासी गलियारों में न केवल हलचल बढ़ा दी बल्कि दीदी की शख्सियत की तुलना मोराराजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर और पीवी नरसिंह राव जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों से कर देर-सबेर बंगाल की मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को हवा देने के अभियान का हिस्सा होने का संकेत भी दे दिया। दीदी की प्रशंसा करते हुए स्वामी ने कहा कि वे ऐसी नेता हैं कि जो कहती हैं वही करती हैं।

स्वामी नाखुश

तृणमूल कांग्रेस के विस्तार अभियान को गति देने दिल्ली आयीं ममता से मुलाकात के बाद स्वामी की यह तारीफें स्वाभाविक रूप से टीएमसी को सुकून देने वाली हैं। एनडीए सरकार की दूसरी पारी में भी कोई बड़ी भूमिका नहीं मिलने से नाखुश स्वामी कुछ समय से सरकार के फैसलों की भी खुली आलोचना करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।

स्वामी और दीदी की बातचीत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप के साथ बेहद मधुर रिश्ते रखने वाले स्वामी की दीदी से मुलाकात से भले कोई सियासी उथल-पुथल नहीं मचेगा मगर ममता की 2024 के लिए शुरू की गई पहल को टीएमसी अपने राजनीतिक हलचल के लिए इस्तेमाल जरूर करेगी। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के राजधानी स्थित आवास पर स्वामी और दीदी की मुलाकात व बातचीत हुई। टीएमसी और स्वामी दोनों की ओर से इस मुलाकात से जुड़ी तस्वीरें भी ट्विटर पर साझा की गईं।

भारतीय राजनीति में यह गुण दुर्लभ

स्वामी ने दीदी की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया, 'अब तक जिन राजनीतिज्ञों के साथ उनकी मुलाकातें हुई या उन्होंने जिनके साथ काम किया है उनमें ममता बनर्जी को जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर, पीवी नरसिंह राव की श्रेणी में रखते हैं। जिनके लिए अपने कहे शब्दों के मायने थे। उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। भारतीय राजनीति में यह गुण दुर्लभ है।'

राज्यसभा का कार्यकाल हो रहा खत्‍म

दिलचस्प यह भी है कि अपने आदर्श नेताओं की सूची में उन्होंने भाजपा के किसी दिग्गज नेता का नाम भी नहीं लिया। स्वामी का राज्यसभा का कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है और अभी पिछले महीने ही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।

यह स्नेह तात्कालिक नहीं

हालांकि स्वामी का दीदी के प्रति यह स्नेह तात्कालिक नहीं है बल्कि कुछ समय पूर्व ममता को पोप से मुलाकात के लिए इटली जाने की अनुमति नहीं देने के केंद्र सरकार के फैसले की भी उन्होंने आलोचना की थी और फैसला वापस लेने की मांग की थी।

ममता को बताया था सच्चा हिंदू

पिछले साल भी जब बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच सियासी जंग उफान पर था तब स्वामी ने ममता को सच्चा हिंदू और दुर्गा भक्त भी करार दिया था। 2014 के चुनाव से पूर्व स्वामी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के अभियान का समर्थन किया और अभी तक वे चाहे सरकार की आलोचना करें मगर पीएम मोदी पर टीका-टिप्पणी नहीं की है। 

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