मोदी का बड़ा फैसला- पूर्व पीएम के परिवार को नहीं मिलेगी एसपीजी सुरक्षा, कानून में होगा संशोधन

एसपीजी कानून में बड़ा संशोधन 1999 में वाजपेयी सरकार के दौरान हुआ। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा पद छोड़ने के बाद एक साल तक सीमित कर दी गई।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 07:38 PM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 07:26 AM (IST)
मोदी का बड़ा फैसला- पूर्व पीएम के परिवार को नहीं मिलेगी एसपीजी सुरक्षा, कानून में होगा संशोधन
मोदी का बड़ा फैसला- पूर्व पीएम के परिवार को नहीं मिलेगी एसपीजी सुरक्षा, कानून में होगा संशोधन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब भविष्य में किसी पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार को एसपीजी की सुरक्षा नहीं मिलेगी। सरकार इसके लिए पुख्ता इंतजाम करने जा रही है। इस सिलसिले में संसद के चालू सत्र के दौरान ही अगले हफ्ते एसपीजी कानून में संशोधन का विधेयक पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक पहले ही इन संशोधनों को हरी झंडी दे चुकी है। फिलहाल सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है।

गांधी परिवार की दो हफ्ते पहले हटी एसपीजी सुरक्षा

ध्यान देने की बात है दो हफ्ते पहले ही सरकार ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को 1991 से मिल रही एसपीजी सुरक्षा हटा ली थी और उसकी जगह सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। कांग्रेस लगातार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है और इसे राजनीति से प्रेरित बता रही है।

एसपीजी कानून में संशोधन का विधेयक संसद में पेश होगा

शुक्रवार को संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा को बताया है कि एसपीजी कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक अगले हफ्ते की सदन की कार्यवाही की सूची में शामिल किया गया है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा देने के प्रावधान को हटा दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार एसपीजी कानून के तहत पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक या फिर खतरे के आंकलन के आधार पर एसपीजी सुरक्षा देने के प्रावधान में परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

खतरे के आकलन के बाद एसपीजी हटाने का लिया फैसला

एसपीजी कानून में संशोधन का फैसला सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटाने के तत्काल बाद आया है। उस समय सरकार की ओर से साफ किया गया था कि पिछले महीने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर खतरे का सालाना आकलन किया गया था, जिसमें सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि इन तीनों पर खतरे की आशंका अपेक्षाकृत कम हुई है और उनकी सुरक्षा एसपीजी के बजाय किसी दूसरी एजेंसी को दी जा सकती है। इसी के आधार पर गृहमंत्रालय ने इन तीनों को एसपीजी की जगह सीआरपीएफ की जेड प्लस सिक्यूरिटी उपलब्ध कराने का फैसला किया गया।

1988 में एसपीजी बल का गठन किया गया था

गौरतलब है कि सुरक्षा गार्ड के हाथों तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स (एसपीजी) नाम से अलग बल का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी।

राजीव की हत्या के बाद एसपीजी कानून में संशोधन किया गया था

चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में एसपीजी कानून में संशोधन कर पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ-साथ राजीव गांधी के परिवार यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी एसपीजी सुरक्षा उपलब्ध कराया गया था। उसके बाद से गांधी परिवार को एसपीजी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई।

वाजपेयी सरकार ने एसपीजी कानून में किया था बड़ा संशोधन

1994 में छोटे संशोधनों के बाद एसपीजी कानून में बड़ा संशोधन 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान हुआ। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा पद छोड़ने के बाद एक साल तक सीमित कर दी गई। इसके बाद हर साल खतरे के आंकलन के आधार पर एसपीजी सुरक्षा बढ़ाने का प्रावधान किया गया।

पूर्व पीएम मनमोहन की एसपीजी सुरक्षा वापस लेकर सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा दी गई

जाहिर है इसके बाद समय-समय पर खतरे के आंकलन के आधार पर वीपी सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों की एसपीजी सुरक्षा वापस ली जाती रही। 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद पांच साल तक मनमोहन सिंह को एसपीजी की सुरक्षा मिलती रही, लेकिन खतरे के आंकलन के बाद अगस्त में इसे वापस लेकर उन्हें सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा दी गई।

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