Vijay Diwas 2019: तीनों सेना प्रमुखों ने दी वीर जवानों को श्रद्धांजलि, PM मोदी ने किया नमन
Vijay Diwas 2019 आज ही के दिन साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त दी थी। पीएम मोदी ने इस मौके पर सेना को नमन किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।16 दिसंबर, 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की वजह से भारत में विजय दिवस मनाया जाता है। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को घुटनों पर ला दिया। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस वजह से 16 दिसंबर को बांग्लादेश में आजादी दिवस मनाया जाता है।
तीनों सेना प्रमुखों ने जवानों को दी श्रद्धांजलि
विजय दिवस के मौके पर आज तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने दिल्ली में वॉर मेमोरियल पहुंचकर जवानों को श्रद्धांजलि दी। तीन सेना प्रमुखों, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने विजय दिवस के मौके पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
Delhi: The three service chiefs, Army Chief Bipin Rawat, Indian Air Force Chief, RKS Bhadauria and Chief of the Naval Staff, Admiral Karambir Singh, and MoS Defence Shripad Naik, pay tribute at National War Memorial on #VijayDiwas. pic.twitter.com/WwePiQye02
— ANI (@ANI) December 16, 2019
वहीं इस मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दिवस पर सैनिकों को नमन किया। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'विजय दिवस पर भारतीय सैनिकों के साहस, शौर्य और पराक्रम को नमन करता हूं। 1971 में आज के दिन हमारी सेना ने जो इतिहास रचा, वह सदा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।'
विजय दिवस पर भारतीय सैनिकों के साहस, शौर्य और पराक्रम को नमन करता हूं। 1971 में आज के दिन हमारी सेना ने जो इतिहास रचा, वह सदा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।
13 दिनों में पाकिस्तान ने टेके थे घुटने
भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 को युद्ध छिड़ गया था। यह युद्ध केवल 13 दिनों तक चला था। 16 दिसंबर को इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पड़े थे। 16 दिसंबर 1971 को करीब 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था। इसके साथ ही यह युद्ध ढाका समर्पण के साथ खत्म हो गया था। पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और इस दिन बांग्लादेश के रूप में एक नया राष्ट्र बन गया। पाकिस्तानी सेना पर आत्मसमर्पण से पहले 30 लाख से अधिक लोगों का कत्लेआम किया था।