भाजपा ने की राष्ट्रपति से सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग
दिल्ली और अन्य राज्यों में हुए दंगों के 186 मामलों की जांच होनी है जिसमें कुछ केस बंद भी किए जा चुके हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। सांसद मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व में भाजपा व सिख नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति भवन पहुंचा और 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग की। भाजपा के नेतृत्व में कई प्रख्यात लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर 1984 के सिख विरोधी दंगे की जांच रिपोर्ट आने में आठ महीने की देरी पर चिंता जताई है। उन्होंने राष्ट्रपति को सौंपे पत्र में कहा है कि दंगे की जांच के लिए जस्टिस एसएन धींगरा के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त एसआइटी के तीसरे सदस्य का नाम ही अभी तक तय नहीं हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को तत्काल एसआइटी के तीसरे सदस्य का नाम अधिसूचित करने का आदेश देने की अपील की है।
रिपोर्ट दो माह में आनी थी, पर एसआइटी का तीसरा सदस्य अब तक नियुक्त नहीं
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और सेना के पूर्व प्रमुख जनरल जेजे सिंह समेत इस प्रतिनिधिमंडल में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रुपिंदर सिंह सूरी, राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता गुरुचरन एस.गिल और पूर्व विधायक आरपी सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके एक पत्र सौंपा है।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट की गठित जिस एसआइटी को महज दो महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन वह अपने एक सदस्य की कमी के चलते अब तक अपने काम को अंजाम ही नहीं दे पाई है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति से मिलकर प्रतिनिधिमंडल ने तीसरे सदस्य के नाम को तत्काल अधिसूचित करने की अपील की है।
प्रतिनिधिमंडल ने पत्र में आरोप लगाया है कि तीसरे सदस्य का नाम जल्द अधिसूचित करने के लिए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भी दो बार उठाया गया। लेकिन अदालत ने इसे कोई मुद्दा न मानते हुए दरकिनार कर दिया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह इस मामले में अपने आपको असहाय पाते हैं क्योंकि आरोपित इस दौरान गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। एक-एक दिन की देरी सिखों को न्याय दिलाने की उनकी उम्मीदों पर पानी फेरती जा रही है।
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली और अन्य राज्यों में हुए दंगों के 186 मामलों की जांच होनी है जिसमें कुछ केस बंद भी किए जा चुके हैं। इस एसआइटी का गठन सिख विरोधी दंगों के बंद मामलों में नए साक्ष्यों की जांच के लिए किया गया है। जनवरी, 2018 में गठित इस एसआइटी को दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन एक पूर्व आइपीएस अफसर के इस जांच दल का सदस्य बनने से इन्कार करने के बाद से यह मामला अटका पड़ा है।