आंध्र प्रदेश सरकार ने विवादित तीन राजधानी विधेयक लिया वापस, सीएम ने कहा- बदलाव के साथ फिर लाया जाएगा बिल
मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा जब से मैंने तीन राजधानियां बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था तब से ही गलतफहमी पैदा की जा रही है। झूठा प्रचार किया जा रहा है कि तीन राजधानियां बनने से कुछ वर्गो के साथ अन्याय होगा।
अमरावती, प्रेट्र। आंध्र प्रदेश सरकार ने भारी विरोध के बाद उस विवादित विधेयक को वापस ले लिया, जिसके तहत राज्य में तीन राजधानियां स्थापित करने का फैसला किया गया था। इस बिल के तहत विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायिका राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाने का एलान किया गया था। मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने विधानसभा में कहा कि बदलाव के साथ इस बिल को फिर लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपने बयान के दौरान एक बार भी अमरावती का जिक्र नहीं किया। इस बिल को हाई कोर्ट में कई याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गई थी। किसान और जमीन मालिक इस बिल से काफी खफा थे। पिछले कुछ समय से इसके विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे थे। किसानों द्वारा एक नवंबर को अमरावती से तिरुपति तक 45 दिन का पैदल मार्च निकाला गया। प्रदर्शनकारी रविवार को ही नेल्लोर पहुंचे थे। विधेयक वापस लेने का फैसला सुनकर आंदोलन कर रहे किसानों में खुशियों की लहर छा गई।
मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा, 'जब से मैंने तीन राजधानियां बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था तब से ही गलतफहमी पैदा की जा रही है। झूठा प्रचार किया जा रहा है कि तीन राजधानियां बनने से कुछ वर्गो के साथ अन्याय होगा।' उन्होंने दावा किया कि चंद्रबाबू नायडू सरकार का अमरावती में राजधानी बनाने का फैसला विवादास्पद था। श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट में उनके इस फैसले का विरोध किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वह 50,000 एकड़ में राजधानी बनाने के फैसले पर अड़े थे।
उन्होंने कहा कि अगर हम दो करोड़ प्रति एकड़ की दर से जमीन का अधिग्रहण करते हैं तो इसके लिए एक लाख करोड़ रुपये चाहिए। फिलहाल इतना पैसा हमारे पास नहीं है और ऐसे में यहां पर राजधानी की कल्पना करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम राज्य का सबसे बड़ा शहर है और वहां पर सभी बुनियादी सुविधाएं है। यह शहर पांच से दस वर्षो के अंदर हैदराबाद जितना विकसित हो सकता है। तीन राजधानियों के मुद्दे का बचाव करते हुए जगनमोहन ने कहा कि हमारी सरकार को वोट भी इसी मुद्दे पर मिला है। जनता के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को फिर से हैदराबाद जैसी सुपर कैपिटल बनाने की ऐतिहासिक गलती नहीं करनी चाहिए।