Maharashtra Politics: अमित शाह बोले- विपक्षी दलों को सरकार बनाने की खुली छूट, नुकसान तो भाजपा को हुआ
Maharashtra Politics गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि किसी भी राज्य को सरकार बनाने के लिए इतना ज्यादा समय नहीं दिया गया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद से अब तक मचे राजनीतिक घमासान और बयानों के बीच बुधवार को भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया। शिवसेना,कांग्रेस और एनसीपी की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि राज्यपाल ने उन्हें पर्याप्त वक्त नहीं दिया। पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि अगले छह महीने में राष्ट्रपति शासन के दौरान कोई भी दल कभी भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। चुनाव परिणाम आने के बाद नई शर्ते जोड़ने के लिए शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी।
अमित शाह ने विपक्ष पर कोरी राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा, 'एक संवैधानिक पद को इस तरह राजनीति में घसीटना लोकतंत्र के लिए अच्छी परंपरा नहीं है। सरकार बनाने का मौका छीन लेने के कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के तर्को को बचकाना बताते हुए उन्होंने कहा, 'विधानसभा को सुसुप्त अवस्था में ही डाला है अभी। सभी के पास छह महीने का समय है। कोई भी जा सकता है। किसका मौका छीन लिया और कैसा मौका छीन लिया।' उन्होंने कहा जिनके पास भी संख्या है, उसके लिए सरकार बनाने की खुली छूट है।
नुकसान तो भाजपा को हुआ
राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा की अवधि खत्म होने के बाद नौ नवंबर से वहां देवेंद्र फडणवीस की कामचलाऊ सरकार चल रही थी। यदि लंबे समय तक इसे रखा जाता है कि भाजपा पर बिना संख्या बल के सरकार चलाने का आरोप लगता। राष्ट्रपति शासन लगने से असली नुकसान तो भाजपा और देवेंद्र फडणवीस का हुआ है कि हमारी कामचलाऊ सरकार भी चली गई।
फडणवीस ही मुख्यमंत्री होंगे, सभाओं में बार-बार कहा था
अमित शाह ने पहली बार शिवसेना के साथ मतभेद के बारे में भी बताया। उन्होंने चुनावपूर्व समझौते के तहत ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के शिवसेना के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सौ से अधिक बार सार्वजनिक सभाओं में गठबंधन के बहुमत आने की स्थिति में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने का एलान किया था, लेकिन उस समय एक बार भी किसी ने इसका विरोध नहीं किया। शाह ने कहा कि चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना ने कुछ ऐसी शर्ते रखी हैं, जिन्हें पार्टी के लिए मानना संभव नहीं है और पार्टी उचित समय पर इस पर विचार करेगी।
मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं
शाह ने साफ कर दिया कि वे राज्य में मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रपति शासन के छह महीने पूरे होने पर राज्यपाल कानूनी सलाह लेकर इस मुद्दे पर उचित निर्णय लेंगे।