अमित शाह बोले, असम को पसंद आया विकास का रास्ता, आंदोलन, आतंकवाद और हथियार को छोड़ आगे बढ़ा राज्य

गृहमंत्री शाह ने कहा कि जिस प्रकार से पांच वर्ष में सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा की जोड़ी ने सरकार चलाई असम की जनता को विकास का रास्ता पसंद आया और उसी का परिणाम है कि हिमंत बिस्वा सरमा आज फिर से सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:28 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 08:13 PM (IST)
अमित शाह बोले, असम को पसंद आया विकास का रास्ता, आंदोलन, आतंकवाद और हथियार को छोड़ आगे बढ़ा राज्य
एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

गुवाहाटी, एजेंसियां। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूर्वोत्तर के दौरे पर हैं। रविवार को शाह ने असम में कई प्रमुख योजनाओं का उद्घाटन किया। असम की राजधानी गुवाहाटी में कोविड से जान गवाने वाले व्यक्तियों के परिजनों को केंद्रीय गृहमंत्री ने एक-एक लाख रुपये के चेक प्रदान किए। एक कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा कि असम में दूसरी बार अपने बल पर भाजपा की सरकार बनी है। असम में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने का मतलब है, कि असम ने आंदोलन, आतंकवाद और हथियार तीनों को हमेशा के लिए छोड़कर विकास के रास्ते जाना तय किया है। शाह ने कहा कि जिस प्रकार से पांच वर्ष में सर्बानंद सोनोवाल और हिमंत बिस्वा सरमा की जोड़ी ने सरकार चलाई है। असम की जनता को विकास का रास्ता पसंद आया और उसी का परिणाम है कि हिमंता बिस्व सरमा आज फिर से सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा असम की भाषा इसकी विरासत और इसकी जैविक संस्कृति की रक्षा और संरक्षण करना चाहती है। भाजपा का मानना है कि भाषाएं, बोलियां, व्यंजन और ऐसे ही अन्य लक्षण भारत के रत्न हैं और हमें उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है।

हाल ही में केंद्र में हुए कैबिनेट विस्तार पर बोलते हुए शाह ने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि सरकार की कैबिनेट में पांच मंत्री पूर्वोत्तर भारत से आते हैं। पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर में नई विकास के रोड की शुरुआत की है। उन्होंने सात वर्षों में 35 बार इस क्षेत्र का दौरा किया है। किसी अन्य पीएम ने इतनी बार इस क्षेत्र की यात्रा नहीं की है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बोडोलैंड समझौता हुआ था। हम समझौते की 90 फीसद शर्तें पहले ही दे चुके हैं। साथ ही कहा कि मोदी सरकार में हुए कई समझौतों के तहत पूर्वोत्तर के 2,100 से अधिक लोगों ने अपने हथियार छोड़े हैं। मोदी सरकार के कामकाज के तरीके ने असम के लिए एक नैरेटिव बदल दिया है। उन्हें विकास के लिए विद्रोह की जरूरत नहीं है, उन्हें सिर्फ सहयोग प्रदान करने की जरूरत है। 

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