J Jayalalithaa 72nd Birth Anniversary: गरीबों की सहायता करेगी AIADMK, रक्त शिवरों का होगा आयोजन

जे जयललिता की 72 वीं जयंती से कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक कैडरों से कहा है कि वह रक्त शिवरों का आयोजन करें।

By Ayushi TyagiEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 04:08 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 04:08 PM (IST)
J Jayalalithaa 72nd Birth Anniversary: गरीबों की सहायता करेगी AIADMK, रक्त शिवरों का होगा आयोजन
J Jayalalithaa 72nd Birth Anniversary: गरीबों की सहायता करेगी AIADMK, रक्त शिवरों का होगा आयोजन

चेन्नई, पीटीआइ। अपनी दिवंगत सुप्रीमो जे जयललिता की 72 वीं जयंती से कुछ दिन पहले, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने मंगलवार को अपने कैडरों से अपील की कि वे रक्तदान और चिकित्सा शिविरों का आयोजन करके इस समारोह का जश्न मनाएं और गरीबों की मदद करें।

ओ पन्नीरसेल्वम करेंगे माल्यार्पण

पार्टी की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि पार्टी के शीर्ष नेता ओ पन्नीरसेल्वम और के पलानीस्वामी 24 फरवरी को यहां एआईएडीएमके मुख्यालय में दिवंगत मुख्यमंत्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री पलानीस्वामी AIADMK के संयुक्त समन्वयक हैं जबकि उनके डिप्टी पनीरसेल्वम समन्वयक हैं।

प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जयललिता ने हमेशा अपने समर्थकों से अपने जन्मदिन समारोह के दौरान भव्यता को दूर करने का आग्रह किया था और इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को कल्याणकारी गतिविधियों को अपनाकर दिन को चिह्नित करना चाहिए जिससे गरीबों को फायदा हो।

छात्रों के लिए रक्तदान शिवर का आयोजन

प्रेस रिलिज में आगे लिखा गया कि इसके एक भाग के रूप में, उन्हें छात्रों के लिए रक्तदान शिविर, नेत्र दान गतिविधियां, चिकित्सा शिविर और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए और उन्हें सहायता देनी चाहिए और मुफ्त विवाह आयोजित करना चाहिए और  वृद्धाश्रम में लोगों को खाना खिलाना चाहिए।

1991 में पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी जयललिता

80 के दशक के अंत में अपने गुरु और पार्टी के संस्थापक एम जी रामचंद्रन (MGR) के निधन के बाद एक अभिनेता से राजनेता बनीं, जयललिता ने AIADMK की बागडोर संभाली और 1991 में पहली बार मुख्यमंत्री बनीं।  जयललिता को उनकी उल्लेखनीय वापसी के लिए जाना जाता है, उन्होंने 2001, 2011 और 2016 में विधानसभा चुनावों में जीत के लिए पार्टी का नेतृत्व किया था। जयललिता, अपने समर्थकों के बीच पुरैची थलाइवी (क्रांतिकारी नेता) के रूप में जानी जाती थीं। बता दें कि 5 दिसंबर, 2016 को उनका निधन हो गया था। 

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