पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले मिल सकता है बड़ा तोहफा, ओबीसी आरक्षण को लेकर रोहणी आयोग दे सकता है रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश पंजाब सहित पांच राज्यों के फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की पिछड़ी जातियों को केंद्र से उप-वर्गीकरण का एक बड़ा तोहफा मिल सकता है। इसमें ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसद आरक्षण में उनकी भी हिस्सेदारी निर्धारित हो जाएगी।
नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की पिछड़ी जातियों को केंद्र से उप-वर्गीकरण का एक बड़ा तोहफा मिल सकता है। इसमें ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसद आरक्षण में उनकी भी हिस्सेदारी निर्धारित हो जाएगी। अभी वे ओबीसी की श्रेणी में हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है। ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण का उनकी जातियों के बीच वर्गीकरण के काम में जुटे रोहणी आयोग ने फिलहाल इससे जुड़े सारे आंकड़े जुटा लिए हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले आयोग अपनी रिपोर्ट दे सकता है।
ओबीसी की पहचान करने का राज्यों का अधिकार बहाल होते ही वर्गीकरण में फिर आएगी तेजी
वैसे भी रोहणी आयोग का कार्यकाल दिसंबर 2021 तक ही है। ऐसे में आयोग की भी कोशिश है कि तय समय में इस काम को पूरा कर लिया जाए। आयोग को पहले भी कई विस्तार मिल चुका है। ऐसे में अब सही समय को देख सरकार ने भी इसकी अंतिम रिपोर्ट देने को कहा है। हालांकि इससे पहले आयोग ने ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण कर चुके राज्यों के साथ भी चर्चा की योजना बनाई थी। इसमें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद अड़ंगा लग गया, जिसमें अदालत ने ओबीसी पर राज्यों की सूची को अवैध बता दिया था। इस बीच सरकार संविधान संशोधन के जरिये राज्यों के ओबीसी की पहचान करने और सूची बनाने के अधिकार को फिर से बहाल करने में जुटी है।
11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ होगी चर्चा
आयोग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि राज्यों का अधिकार बहाल होते ही ओबीसी जातियों का पहले ही वर्गीकरण कर चुके 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ चर्चा होगी। इनमें आंध्र प्रदेश, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं। इसके पूर्व आयोग ने शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले और सरकारी नौकरियों में ओबीसी की सभी जातियों का ब्योरा जुटा लिया है।
केंद्रीय सूची के आधार पर ओबीसी आरक्षण को चार श्रेणियों में बांटने की है आयोग की योजना
इसमें यह पाया गया है कि ओबीसी आरक्षण का लाभ अब तक इनकी सिर्फ एक हजार जातियों को ही मिला है, जबकि केंद्रीय सूची के तहत ही ओबीसी की कुल जातियों की संख्या करीब 27 सौ है। इनमें भी सौ जातियों ने इसका सबसे ज्यादा लाभ लिया है। आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो वर्गीकरण का एक फार्मूला भी तैयार किया गया है, जिसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इसमें ओबीसी आरक्षण को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है।
इनमें उन जातियों को ओबीसी के 27 फीसद आरक्षण में ही एक कोटा तय किया गया है, जिससे अब उन्हें अनिवार्य रूप से इसका लाभ मिलेगा। आयोग का मानना है कि इस फार्मूले को अध्ययन व आंकड़ों के बाद वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया है। इसमें किसी जाति के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इनमें उत्तर प्रदेश और पंजाब सबसे अहम हैं।