स्टैन स्वामी की मौत पर सवाल उठा रहे लोगों को सरकार ने दिया जवाब, कही यह बात

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार स्टैन स्वामी की हिरासत में इलाज के दौरान हुई मौत के बाद देश के अंदर राजनीतिक दलों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संगठनों की ओर से उठाए जा रहे सवाल और आरोपों को सरकार ने कड़े शब्दों में खारिज किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 10:10 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 10:22 PM (IST)
स्टैन स्वामी की मौत पर सवाल उठा रहे लोगों को सरकार ने दिया जवाब, कही यह बात
स्टैन स्वामी की हिरासत में इलाज के दौरान मौत पर उठाए जा रहे आरोपों को सरकार ने खारिज किया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार स्टैन स्वामी की हिरासत में इलाज के दौरान हुई मौत के बाद देश के अंदर राजनीतिक दलों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संगठनों की ओर से उठाए जा रहे सवाल और आरोपों को सरकार ने कड़े शब्दों में खारिज किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ जैसे मंचों से स्टैन स्वामी की मौत को मानवाधिकार का हनन बताने का खंडन करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि स्टैन स्वामी के ऊपर लगे आरोपों की गंभीरता और सबूत को देखते हुए अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।

उनका इलाज एक निजी अस्पताल में डेढ़ महीने से चल रहा था और इसकी निगरानी हाई कोर्ट कर रहा था। बागची ने कहा कि स्टैन स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने पूरी तरह से कानून का पालन करते हुए गिरफ्तार किया था। उसके बाद स्टैन स्वामी की ओर से विभिन्न अदालतों में जमानत की अर्जी लगाई गई, लेकिन आरोपों की गंभीरता और सुबूतों को देखते हुए अदालतों ने जमानत देने से इन्कार कर दिया।

ध्यान रहे कि उनपर देश में हिंसा फैलाने और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने का आरोप था। बागची ने कहा कि भारत में संस्थाएं सिर्फ कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में ही कार्रवाई करती है। यदि कोई सही तरीके से अपने अधिकारों का इस्तेमाल करता है, तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

भारत में अदालतें स्टैन स्वामी की याचिका को गंभीरता से सुन रही थीं और बांबे हाईकोर्ट ने उनकी सेहत को देखते हुए 28 मई को ही निजी अस्पताल में इलाज की अनुमति दे दी थी। अस्पताल में उनका हर संभव इलाज भी किया जा रहा था। अदालत लगातार उनकी निगरानी भी कर रहा था। इसके बावजूद बीमारी की जटिलताओं के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका और पांच जुलाई को उनकी मौत हो गई।

स्टैन स्वामी की मौत को भारत में मानवाधिकारों के हनन से जोड़कर देखने वालों को जवाब देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रणाली की निगरानी के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका है। इसके अलावा केंद्र और राज्य स्तर पर मानवाधिकार आयोग हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी के मानवाधिकार का उल्लंघन न हो। इसके साथ ही स्वतंत्र मीडिया और मुखर सिविल सोसाइटी भी मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे को जोर-शोर से उठाती है। बागची ने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। 

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