जम्मू-कश्मीर पर नई राजनीति की शुरुआत से पाक में बेचैनी, अपने ही देश में घिरे इमरान खान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से हुई बातचीत ने अगर वहां नई शुरुआत कर दी है तो इसका बड़ा असर पाकिस्तान में भी देखने को मिल रहा है। इमरान खान इस संदर्भ में दोराहे पर खड़े नजर आ रहे हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 09:56 PM (IST) Updated:Sun, 27 Jun 2021 12:27 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर पर नई राजनीति की शुरुआत से पाक में बेचैनी, अपने ही देश में घिरे इमरान खान
जम्मू-कश्मीर पर नई राजनीति की शुरुआत से पाक में बेचैनी नजर आ रही है।

नई दिल्ली, जेएनएन। गत गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से हुई बातचीत ने अगर वहां नई शुरुआत कर दी है तो इसका बड़ा असर पाकिस्तान में भी देखने को मिल रहा है। खास तौर पर प्रधानमंत्री इमरान खान इस संदर्भ में दोराहे पर खड़े नजर आ रहे हैं। एक तो कश्मीर मसले पर अलग-थलग पड़ने से उनकी सरकार की बेचैनी सामने आने लगी है, दूसरे जिस तरह पाकिस्तानी विपक्षी दलों ने इमरान सरकार पर निशाना साधा है उससे उनकी घरेलू मुश्किलें भी बढ़ने के संकेत हैं।

पाकिस्तान से बातचीत नहीं

भारत सरकार ने भी फिर स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान से बातचीत का उसका कोई इरादा नहीं है। कश्मीर पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ केंद्र शासित प्रदेश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की वार्ता को लेकर पाकिस्तान के सारे समाचार पत्रों ने एक स्वर में लिखा है कि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता जा रहा है।

घर में ही घिरे इमरान 

पाकिस्तान के टीवी चैनलों में भी पिछले तीन दिनों से इसी मुद्दे पर परिचर्चा हो रही है और इसमें विपक्षी दल व विशेषज्ञ एक सुर से इमरान सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं कि वह कश्मीर के मुद्दे पर भारत के सामने झुक रहे हैं।

पाकिस्तान की तरफदारी नहीं

एक विशेषज्ञ ने यहां तक कहा कि वर्ष 1947 के बाद नई दिल्ली में पहली बार कश्मीर पर ऐसी कोई बैठक हुई जिसमें पाकिस्तान की बात करने वाला कोई नहीं था। अभी तक भारत सरकार कश्मीर में जब कोई राजनीतिक पहल करती थी तो उसमें हुर्रियत के लोगों से बातचीत भी एक पक्ष हुआ करता था।

नहीं गली हुर्रियत की दाल

हुर्रियत के प्रतिनिधि वही बात करते थे जो उन्हें पाकिस्तान की तरफ से सिखाया-पढ़ाया जाता था। यह बात इसलिए भी सच प्रतीत होती है क्योंकि कई बार पूर्व में भारत सरकार से वार्ता से पहले हुर्रियत नेताओं ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त के साथ बैठक की है।

बौखलाहट आई सामने 

पाकिस्तान का यह दर्द उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की शुक्रवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में भी सामने आया। कुरैशी ने भारतीय प्रधानमंत्री की तरफ से बुलाई गई बैठक को ड्रामा करार दिया। उन्होंने हुर्रियत नेताओं को इस बैठक से अलग रखने के मुद्दे को खास तौर पर उठाया।

जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला

कश्मीर पर पाकिस्तान में जारी परिचर्चा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। जहां तक पाकिस्तान के साथ रिश्तों की बात है तो हमारा पक्ष पूरी तरह से स्पष्ट है। हम पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसा रिश्ता चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान को पहले ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उसे भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस व भरोसा दिलाने वाली कार्रवाई करनी होगी।

बौखलाया पाकिस्तान  

सनद रहे कि जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद-370 को अगस्त, 2019 में समाप्त करने और पूरे राज्य को दो हिस्सों में बांटने के फैसले पर पाकिस्तान की तरफ से बेहद सख्त प्रतिक्रिया हुई थी। पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ कूटनीतिक रिश्तों को सीमित कर दिया और सारे कारोबारी रिश्ते खत्म कर दिए हैं।

इमरान की गीदड़भभकी  

वैसे पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कुछ समय पहले यह भी कहा था कि अनुच्छेद-370 समाप्त करना भारत का अंदरूनी मसला है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने दो दिन पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा है कि कश्मीर में जब तक भारत अगस्त, 2019 से पहले वाली स्थिति स्थापित नहीं कर देता, तब तक भारत के साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती।  

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