फीकी रही भारत-चीन कूटनीतिक रिश्तों की सालगिरह, भारत सरकार की ओर से नहीं दी गई खास तवज्जो

एक अप्रैल 2021 को भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों की 71वीं वर्षगांठ थी लेकिन यह बिल्कुल फीकी रही और दोनों देशों के बीच कोई खास आयोजन नहीं किया गया। यही नहीं भारत ने इस अवसर को कोई खास तवज्जो नहीं दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 09:50 PM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 12:22 AM (IST)
फीकी रही भारत-चीन कूटनीतिक रिश्तों की सालगिरह, भारत सरकार की ओर से नहीं दी गई खास तवज्जो
भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों की 71वीं वर्षगांठ बिल्कुल फीकी रही....

नई दिल्ली, जेएनएन। गुरुवार (एक अप्रैल, 2021) को भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों की 71वीं वर्षगांठ थी लेकिन यह बिल्कुल फीकी रही और दोनों देशों के बीच कोई खास आयोजन नहीं किया गया जबकि पिछले साल 70वीं वर्षगांठ के मौके पर दोनों देशों के विभिन्न शहरों में अलग-अलग क्षेत्र में 70 तरह के आयोजन का फैसला किया गया था। हालांकि कोरोना और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव की वजह से कोई भी आयोजन नहीं हो सका था।

भारत ने नहीं दी खास तवज्जो

गुरुवार को नई दिल्ली में चीन के राजदूत सुन वीडोंग की तरफ से ट्विटर पर एक छोटा सा संदेश निश्चित तौर पर आया। भारतीय पक्ष ने इस अवसर को कोई खास तवज्जो नहीं दी। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास या वहां भारतीय राजदूत विक्रम मिस्त्री की तरफ से भी कोई संदेश नहीं दिया गया।

चीन के राजदूत ने दिया यह संदेश

चीन के राजदूत ने अपने संदेश में लिखा, 'आज भारत और चीन के कूटनीतिक रिश्तों की 71वीं वर्षगांठ है। चलिए, हम अपने नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करते हैं और विकास, सहयोग व साझेदारी पर ध्यान देते हैं। अपने विवादों को सही तरह से निपटाने और स्वस्थ व स्थायी द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ावा देते हैं।'

मोदी और चिनफिंग की मुलाकात में हुआ था यह फैसला

उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2019 में चेन्नई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात में कूटनीतिक रिश्तों के 70वीं वर्षगांठ को काफी धूमधाम से मनाने का फैसला किया गया था। कुल 70 कार्यक्रम आयोजित होने थे लेकिन वास्तविक तौर पर एक भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सका था।

जल्‍द हो सकती है सैन्य कमांडरों की बैठक

दरअसल मई 2020 में पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के अतिक्रमण की वजह से दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव पैदा हो गया था। दिसंबर, 2020 में कई दौर की बातचीत के बाद कुछ क्षेत्रों से दोनों देशों ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली हैं लेकिन कई क्षेत्रों में सैनिक अभी तक तैनात हैं। शेष सैनिकों की वापसी को लेकर जल्द ही दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है।

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