क्‍वाड देशों ने शी चिनफिंग को दिया करारा झटका, भारत, अमेरिका, जापान और आस्‍ट्रेलिया से बाहर होंगी चीनी तकनीकी कंपनियां

आने वाले दिनों क्वाड देशों की कोशिश 5जी से लेकर सभी अत्याधुनिक तकनीक बाजार में चीन के दबदबे को खत्म करने की होगी। क्‍वाड देश इसके लिए ऐसी तकनीक विकसित करने पर जोर दे रहे हैं जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दे...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 09:46 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:32 PM (IST)
क्‍वाड देशों ने शी चिनफिंग को दिया करारा झटका, भारत, अमेरिका, जापान और आस्‍ट्रेलिया से बाहर होंगी चीनी तकनीकी कंपनियां
क्वाड देशों की कोशिश 5जी से लेकर सभी अत्याधुनिक तकनीक बाजार में चीन के दबदबे को खत्म करने की होगी।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। क्वाड देशों के प्रमुखों की दो दिन पहले की बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ तकनीक की बात जिस जोरदार तरीके से रखी थी उसका अन्य तीनों सदस्य देशों के प्रमुखों ने ना सिर्फ स्वागत किया, बल्कि बाद में क्वाड की तरफ से तकनीकी विकास, डिजाइन, गवर्नेस व इसके इस्तेमाल पर एजेंडा भी जारी कर दिया गया। भारत, अमेरिका, जापान व आस्ट्रेलिया की यह संयुक्त कोशिश 5जी से लेकर सभी अत्याधुनिक तकनीक बाजार में चीन के दबदबे को खत्म कर साझा इस्तेमाल के लिए ऐसी तकनीक को विकसित करने की है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दे और किसी देश के लिए आर्थिक या उसकी सार्वभौमिकता के लिए खतरा पैदा नहीं करे।

चीनी कंपनियों के लिए दरवाजे बंद 

यह कदम दुनिया के अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में चीन की तकनीक आधारित कंपनियों के दरवाजे बंद कर सकता है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, बंद दरवाजे में हुई क्वाड नेताओं व अधिकारियों की बैठक में भारतीय नेतृत्व की तरफ से तकनीक के इस्तेमाल व इससे जुड़े खतरे का मुद्दा सबसे जोरदार तरीके से उठाया गया। पीएम मोदी ने खास तौर पर 5जी तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने के बाद देशों की सुरक्षा चुनौतियों को रेखांकित किया।

पीएम मोदी ने किया आगाह 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के पीएम योशिहिदे सुगा और आस्ट्रेलिया के पीएम स्काट मारीसन के साथ बैठक में पीएम मोदी ने 5जी तकनीक का राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करने के खतरे को लेकर भी आगाह किया।

लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा पर जोर

आस्ट्रेलिया, भारत, जापान व अमेरिका मानते हैं कि तकनीक का डिजाइन, विकास, गवर्नेस और इसके इस्तेमाल का तरीका ऐसा होना चाहिए, जो हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करे व वैश्विक मानवाधिकारों का आदर करे। अत्याधुनिक व बहुत जरूरी माने जाने वाली तकनीक अभिव्यक्ति की आजादी व निजता की गारंटी देने वाली होनी चाहिए। यह अनावश्यक तौर पर समाज में कोई भेदभाव पैदा नहीं करे।

न्यायसंगत व्यवस्था विकसित करेंगे क्‍वाड देश

क्वाड देशों ने तकनीक से जुड़े हार्डवेयर, साफ्टवेयर या सर्विस की सप्लाई चेन को भी विविधता से भरा बनाने की सहमति दी है। साथ ही तकनीक सोल्यूशंस के क्षेत्र में ज्यादा खुला व प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने की भी सहमति बनी है। किस तकनीक को अपनाना है या किस कंपनी को तकनीक से जुड़ा कांट्रैक्ट देना है, इसको लेकर उक्त चारों देश एक पारदर्शी व न्यायसंगत व्यवस्था विकसित करेंगे।

बड़े पैमाने पर चलाया जाएगा शोध अभियान 

चारों देशों के बीच बड़े पैमाने पर संयुक्त शोध एवं अनुसंधान अभियान चलाया जाएगा। देखा जाए तो उक्त सिद्धांत चीन की तरफ इशारा है, जिसकी कंपनियों की तरफ से विकसित तकनीक को लेकर लोकतांत्रिक देशों के बीच काफी चिंताएं हैं।

चीनी उत्‍पादों पर संदेह  

पिछले वर्ष से भारत, अमेरिका व कई दूसरे लोकतांत्रिक देशों ने चीन की संवेदनशील तकनीक अपनाने को लेकर कड़ा रवैया अपनाना शुरू किया है। चीन की हर बड़ी तकनीकी कंपनी के पीछे चीन की सत्ता या उसकी सेना से जुड़े संगठनों का हाथ होने से दूसरे देशों में उसके उत्पादों व सेवाओं को लेकर संदेह पैदा हो गया है। हाल के महीनों में हम देख रहे हैं कि चीन की सरकार स्वयं अपनी कुछ तकनीकी कंपनियों को दबाने का काम कर रही है। 

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