ईरान के जरिए यूरोप पहुंचने की होड़, चाबहार पोर्ट पर भारत की योजना के मुकाबले पाक ने भी बनाई रणनीति

भारत की ईरान के चाबहार पोर्ट के जरिये समूचे मध्य एशियाई और यूरोपीय बाजार तक पहुंच बनाने की योजना के मुकाबले के लिए पाकिस्तान भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। जानें चाबहार पर भारत के मुकाबले के लिए क्‍या है पाक की रणनीति...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 08:58 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 12:26 AM (IST)
ईरान के जरिए यूरोप पहुंचने की होड़, चाबहार पोर्ट पर भारत की योजना के मुकाबले पाक ने भी बनाई रणनीति
चाबहार पोर्ट पर भारत की योजना के मुकाबले के लिए पाकिस्तान भी अपनी रणनीति पर काम कर रहा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान की अपनी आर्थिक स्थिति भले ही बहुत खराब हो, लेकिन जब भारत से मुकाबला होता है तो वह किसी लिहाज से कमतर नहीं दिखना चाहता। इसकी एक बानगी भारत की ईरान के चाबहार पोर्ट के जरिये समूचे मध्य एशियाई और यूरोपीय बाजार तक पहुंच बनाने की योजना के मुकाबले पाकिस्तान की तैयारी से दिखती है। गुरुवार को चाबहार दिवस पर भारत ने अपनी बहुप्रतीक्षित कनेक्टिविटी योजना इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारीडोर (आइएनएसटीसी) को चाबहार से जोड़ने का प्रस्ताव किया। 

पाकिस्‍तान ने इस परियोजना की शुरुआत की 

दूसरी तरफ गुरुवार को पाकिस्तान की महत्वाकांक्षी इस्लामाबाद-तेहरान- इस्तांबुल रेल परियोजना की शुरुआत हो गई। बेहद खस्ताहाल आर्थिक हालात से गुजर रहा पाकिस्तान इस रेल मार्ग को चीन से भी जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। गुरुवार को भारत सरकार ने चाबहार दिवस का आयोजन किया जिसमें अफगानिस्तान, आर्मेनिया, ईरान, कजाखिस्तान, रूस और उज्बेकिस्तान सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने हिस्सा लिया। 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पेश किया खाका 

इसके एक सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चाबहार पोर्ट के लेकर भारत की भावी योजना का खाका पेश किया। उन्होंने कहा कि आइएनएसटीसी के दूसरे सदस्य देशों के समक्ष भारत ने इस अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी परियोजना को चाबहार पोर्ट से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। भारत इस योजना में मध्य पूर्व और एशिया के दूसरे देशों को भी जोड़ना चाहता है। 

चाबहार पर अपनी योजना को लेकर भारत प्रतिबद्ध 

जयशंकर ने कहा, 'भारत चाबहार पोर्ट को एक आधुनिक कनेक्टिविटी सेंटर के तौर पर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। दुनिया में अभी आर्थिक विकास को लेकर जो संभावनाएं बनी हैं उसमें एशियाई देशों के बीच कनेक्टिविटी की काफी जरूरत है। इसके बगैर आर्थिक विकास सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।' 

यूरोप बन जाएगा इकोनामिक कारीडोर  

12 सदस्यों वाला आइएनएसटीसी मूल तौर पर भारत की सोच है जिसके तहत ईरान, रूस के अलावा कुछ मध्य एशियाई देशों व यूरोपीय देशों को शामिल करने की योजना है। पूरा होने पर यह एशिया से लेकर यूरोप तक सबसे बड़ा इकोनामिक कारीडोर बन जाएगा। 7,200 किमी लंबा यह कारीडोर असलियत में चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) के समक्ष भी एक बड़ी चुनौती पेश करेगा।

बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा पाक

उधर, भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं की तेजी को देखते हुए पाकिस्तान भी अपने मित्र राष्ट्र चीन और तुर्की के साथ मिलकर कुछ बड़ी परियोजनाओं पर काम करता दिख रहा है। इस क्रम में इस्तांबुल से तेहरान होते हुए इस्लामाबाद (आइटीआइ प्रोजेक्ट) तक के रेल मार्ग की शुरुआत बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। 

भारत की परियोजना का भविष्‍य उज्‍जवल 

जानकारों का मानना है कि भारत की रूस और ईरान के साथ मिलकर शुरू की जाने वाली आइएनएसटीसी को भविष्य में आइटीआइ प्रोजेक्ट से भी जोड़े जाने की संभावना है। वैसे भी आइटीआइ रेलमार्ग का एक हिस्सा भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित खोखरापार-मुनाबाव रेलमार्ग के बेहद करीब से गुजरेगा। भारत भी इसका इस्तेमाल कर अपने उत्पाद सिर्फ दस दिनों में तुर्की के जरिये यूरोपीय देशों में भेज सकता है। लेकिन इसके लिए पहले भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में बड़े सुधार लाने होंगे।

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