अफगान में पाक की बढ़ी सक्रियता को लेकर भारत ने किया आगाह, विदेश मंत्री ने कही यह बात

अफगानिस्तान में बदल रहे हालात को लेकर भारत चिंतित है। भारत को आशंका है कि यदि पाक के समर्थन वाले तालिबानी आतंकी अफगानिस्‍तान की सत्ता में आते हैं तो वे उसके हितों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 09:07 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:54 PM (IST)
अफगान में पाक की बढ़ी सक्रियता को लेकर भारत ने किया आगाह, विदेश मंत्री ने कही यह बात
अफगानिस्तान में बदल रहे हालात पर भारत की पैनी नजर है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में बदल रहे हालात पर भारत की पैनी नजर है। भारत को बखूबी मालूम है कि अगर पाक के समर्थन वाले तालिबानी आतंकी वहां सत्ता में आते हैं तो उसके हितों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में भारत ने दूसरे देशों को आगाह किया है कि पाकिस्तान के इरादे को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही भारत अपनी भावी रणनीति को धार देने में जुटा है। इस क्रम में समान विचारधारा वाले दूसरे देशों के साथ लगातार विमर्श चल रहा है।

ईरान और चीन ने भी जताई चिंता

ताजे घटनाक्रम पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अफगानिस्तान के एनएसए हमदुल्लाह मोहिब से बात हुई है। अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत पर भारत की चिंताओं को अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार के साथ ही ईरान और चीन ने भी साझा किया है।

पाकिस्‍तान की भूमिका को लेकर जताया संदेह

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इशारों में वैश्विक समुदाय को वहां के बदलते हालात में कुछ पड़ोसी देशों (पाकिस्तान) की संदेहास्पद भूमिका को लेकर सतर्क भी किया है। उन्होंने इस बात को दोहराया कि अफगानिस्तान के भीतर ही नहीं बाहर भी शांति स्थापित करने की जरूरत है।

भारत ने साफ किया अपना रुख

अफगान के हालात पर ना सिर्फ जयशंकर ने शुक्रवार को रायसीना डायलॉग-2021 में खुल कर अपने विचार रखे, बल्कि भारत की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया भी जताई गई है।

भारत ने स्थाई शांति की हिमायत की

भारत ने कहा, 'वह अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के बाद पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं। अफगान की जनता ने चार दशकों तक हिंसा का दौर देखा है और उन्हें स्थाई शांति मिलनी चाहिए। भारत चाहता है कि जो भी शांति प्रक्रिया अपनाई जाए उसे अफगानिस्तान की जनता ही तैयार करे और वही इसे लागू करे। भारत एकीकृत व लोकतांत्रिक अफगानिस्तान का समर्थन करता है। हाल ही में वहां लोगों को चिह्नित कर हत्या की गई है, जो काफी चिंताजनक है।'

लोगों के जीवन में बदलाव के प्रयास करेगा भारत

जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में पहले भी सकारात्मक भूमिका निभाता रहा है और आगे भी अपनी क्षमता के मुताबिक वहां के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव की कोशिश करेगा। भारत के इरादे साफ है और यह अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में किये जा रहे विकास के कार्यों से साफ है। हां, कुछ दूसरे पड़ोसियों के इरादों पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। कुछ पड़ोसियों ने काफी नकारात्मक भूमिका निभाई है। इन पड़ोसियों के स्वार्थ को दरकिनार करने की जरूरत है।

पाकिस्‍तान की भूमिका पर सवाल

विदेश मंत्री का इशारा पाकिस्तान की तरफ था, जो कट्टरपंथी तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज करवाने पर तुला है। जयशंकर ने कहा कि मुझे शक है कि पिछले दो दशकों में तालिबान बदला है। तालिबान अफगानिस्तान में जो करना चाहता है, वह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है। इस परिचर्चा में ईरान के विदेश मंत्री जावाद जारीफ भी उपस्थित थे।

ईरान ने भी आतंकियों के सक्रिय होने का जताया संदेह

जारीफ ने कहा कि यदि नए अफगानिस्तान में आतंकवादी तालिबान का प्रवेश होता है तो यह ना सिर्फ सभी पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक होगा। पिछले बीस वर्षों में अफगानिस्तान में जो संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई गई है उसे आगे भी जारी रखने की कोशिश होनी चाहिए। एक दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने भी यही कहा है कि बदले हालात में आतंकियों को अफगानिस्तान में सत्ता में आने की छूट नहीं मिलनी चाहिए। 

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