चीन को भारत की दो-टूक, सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी, समझौतों का सम्मान जरूरी

India China Relationship भारत ने चीन के साथ वार्ता में लगातार समझाने की कोशिश की है कि दोनों देशों के सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति और यथास्थिति आवश्यक है। यह जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 10:07 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 12:31 AM (IST)
चीन को भारत की दो-टूक, सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी, समझौतों का सम्मान जरूरी
भारत ने चीन को कहा है कि दोनों देशों के सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति आवश्यक है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत ने चीन के साथ वार्ता में लगातार समझाने की कोशिश की है कि दोनों देशों के सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति और यथास्थिति आवश्यक है। यह जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दी है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है और उसके साथ भारत के महत्वपूर्ण व्यापारिक रिश्ते हैं। श्रृंगला ने कहा, भारत पड़ोसी देश के साथ व्यापारिक संबंधों पर लगातार कार्य करेगा। लेकिन यह संबंध तभी बढ़ेगा जब अन्य महत्वपूर्ण मसलों में सामान्य स्थिति रहेगी।

एशिया इकोनोमिक डायलॉग में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पैदा हुई गड़बड़ी पर चर्चा करते हुए श्रृंगला ने बताया कि हमने चीन से साफ कर दिया कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाए रखने के लिए सीमा पर शांति बनी रहनी जरूरी है। सीमा पर शांति अपरिहार्य है और यह पूर्व में बनी सहमति और समझौतों पर आधारित होनी चाहिए। ऑनलाइन डायलॉग का आयोजन पुणे इंटरनेशनल सेंटर ने किया था।

विदेश सचिव ने कहा, पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं। इससे हमारे बीच का तनाव कम हुआ है। इस सिलसिले में देख रहे हैं कि और क्या किया जाना है। चीन के साथ हमारी बहुत लंबी सीमा है। हम इस सीमा के एक बहुत छोटे हिस्से को लेकर वार्ता कर रहे हैं। हम ऐसी व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं, जो बाकी सीमा क्षेत्र पर लागू होगी। दोनों देश सहमति बनाकर इस व्यवस्था को लागू करेंगे। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अनुराग श्रीवास्‍तव ने बताया कि इसके अलावा सचिव (आर्थिक संबंध) ने भी एशिया इकोनोमिक डायलॉग में अंतर्राष्ट्रीय विकास में भारत के सहयोग के परिप्रेक्ष्य में बातचीत की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के मसले पर भारत के दृष्टिकोण का उल्लेख किया और अंतर्राष्ट्रीय विकास में सहयोग, क्षमता निर्माण समेत सभी आयामों पर चर्चा की। उन्‍होंने पड़ोसी देशों और अफ्रीका में विकास परियोजनाओं में भारत की ओर से दी जा रही मदद का खासतौर पर उल्‍लेख किया।  

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