पश्चिम एशिया में नए समीकरण बनाता हिंदुस्तान, भारत- इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंध

India–Israel Relations भारत के विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर ने इजरायल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये यूएई और अमेरिका के साथ संवाद स्थापित करते हुए इस आर्थिक फोरम के गठन पर सहमति बनाई। यह एक तरीके के इकोनामिक क्वाड ग्रुप की तरह है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:46 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 09:52 AM (IST)
पश्चिम एशिया में नए समीकरण बनाता हिंदुस्तान, भारत- इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंध
एक और मंच पर साथ आए भारत और इजरायल। ट्विटर

विवेक ओझा। India–Israel Relations भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 17 अक्टूबर से पांच दिनों के इजरायल दौरे पर हैं। यह दौरा काफी महत्वपूर्ण साबित होता दिखा है। इजरायल भारत के साथ एक रणनीतिक साझेदार की भूमिका निभाता दिखा है। एक ऐसा सामरिक साझेदार जिसने भारत के इंटरनेशनल सोलर अलायंस से जुड़ने का निर्णय भी कर लिया है ताकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर साझेदारी को बढ़ावा दिया जा सके। एक ऐसा आर्थिक साझेदार जिसने भारत के साथ लंबित मुक्त व्यापार समझौते से जुड़ी वार्ता को पुन: शुरू करने के भारत के प्रस्ताव पर गर्मजोशी के साथ हामी भर दी है।

एक ऐसा हेल्थ पार्टनर जिसने इस बात के लिए भी सहमति दे दी है कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवा चुके भारतीय यात्रियों को इजरायल आने दिया जाएगा और इसी के साथ कोविड रोधी वैक्सीन सर्टिफिकेट पर दोनों देशों के बीच एक पारस्परिक मान्यता समझौता भी हुआ है। ये सभी समझौते और साझेदारियां भारतीय विदेश मंत्री की इजरायल यात्र की देन हैं, लेकिन इस यात्रा के दौरान जो सबसे बड़ी साझेदारी देखने को मिली है उसका कुछ अलग ही सामरिक आर्थिक महत्व है।

दरअसल पिछले साल अब्राहम एकार्ड के जरिये अमेरिका ने इजरायल और यूएई के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं हाल के वर्षो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विस्तारित पड़ोस की नीति के तहत संयुक्त अरब अमीरात को भारत अपना पड़ोसी घोषित कर चुका है। भारतीय विदेश मंत्री ने कुछ समय पहले अपनी यूएई यात्रा के दौरान भी इसका जिक्र किया था और अब जब पश्चिमी एशिया के लिए एक नए क्वाड समूह को बनाने की बात सामने आ गई है तो इससे इन चारों देशों में एक विशेष संपर्क विकसित हुआ है। अमेरिका ने साफ कहा है कि चारों देशों के नेताओं ने पश्चिम एशिया में राजनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की बात पर सहमति जताई है। इन चारों देशों ने व्यापार, जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से निपटने, ऊर्जा सहयोग और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी साझेदारियों को मजबूती देने की बात की है। चारों देशों ने साफ किया है कि यह एक असैन्य गठजोड़ है जो असैन्य मुद्दों पर ही अपनी साझेदारियों को मजबूत करेगा।

इसके गठन की जरूरत : पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति में बदलाव आया है, खासकर अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में काबिज हुआ, उसके बाद से अरब विश्व या कहें इस्लामिक विश्व, खाड़ी देश, ओआइसी के देश, तुर्की, मलेशिया और पाकिस्तान जैसे देश वैश्विक इस्लामिक हितों पर मिलकर काम करने के लिए सहमति बनाने में लगे रहे हैं। वहीं तुर्की के सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और ग्रीस जैसे देशों के साथ विवाद भी तेज हुए हैं। जब 2017 में सऊदी अरब ने कुछ अन्य खाड़ी देशों के साथ मिलकर कतर के साथ कूटनीतिक संबंध खत्म किए थे, तब तुर्की ने कतर का समर्थन किया था। तुर्की और सऊदी अरब के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़ रहे हैं। इसमें क्षेत्रीय स्तर पर यमन, लीबिया, इराक और सूडान को लेकर राजनीतिक मतभेद के साथ इस्लाम को लेकर नेतृत्व की रस्साकशी भी जारी है।

दूसरा, पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र राजनीतिक विवादों के दायरे में आता दिखा है जिसके चलते भी मध्य पूर्व क्षेत्र में क्वाड जैसे संगठन के गठन का औचित्य दिखता है। इस क्षेत्र में ग्रीस, तुर्की, इजरायल, फलस्तीन, मिस्न, साइप्रस, जार्डन, लेबनान जैसे देशों के बीच जिस तरह से भू-राजनीतिक और भू-सामरिक प्रतिस्पर्धा चल रही है उसे देखते हुए भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई जैसे देश भी पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में अपने हितों के लिए सतर्क हुए हैं। इसी कड़ी में कुछ माह पूर्व भारतीय विदेश मंत्री ने ग्रीस की यात्रा की थी। ग्रीस से सामरिक साझेदारी पर सहमति बनी और उसे इंटरनेशनल सोलर अलायंस से जुड़ने के लिए राजी किया था। भारतीय राजनय की यही कुशलता है कि इस चर्चा के दौरान भारत ने ग्रीस को हिंद प्रशांत रणनीति और विजन के महत्व को इस प्रकार समझाया कि ग्रीस ने भारत के साथ हिंद प्रशांत विजन पर हस्ताक्षर कर दिया।

भारत ने ग्रीस को जिस रूप में मुक्त, समावेशी और सहयोगी हिंद प्रशांत रणनीति के बारे में अपनी राय व्यक्त की, उसका असर ग्रीस पर पड़ा। अभी कुछ समय पूर्व ही ग्रीस और उसके पड़ोसी तुर्की के बीच सागरीय क्षेत्र के स्वामित्व को लेकर विवाद हो गया था। तुर्की ने ग्रीस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र पर अपना दावा कर दिया था और ग्रीस ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सागरीय नियमों व कानूनों के तहत उस पर ग्रीस का ही अधिकार है। निश्चित रूप से भारत जिस प्रकार सभी देशों की सागरीय संप्रभुता और स्वायत्तता का समर्थन करता रहा है, ग्रीस भारत की उस प्रतिबद्धता से परिचित रहा है। पूर्वी भूमध्यसागर में प्राकृतिक गैस और अन्य ऊर्जा संसाधनों के विशाल भंडार हैं जिन पर तुर्की की भी निगाह है और वह इस मामले में ग्रीस और साइप्रस को प्रतिस्पर्धा देता है। तुर्की इस बात से आक्रोशित भी है कि वह भूमध्यसागरीय गैस फोरम से बाहर क्यों है। इस फोरम का गठन जनवरी 2019 में कायरो में हुआ था और इसे ‘भूमध्यसागरीय गैस के ओपेक’ की संज्ञा दी गई थी। इस फोरम में मिस्र, ग्रीस, साइप्रस, इजरायल, इटली, जार्डन और फलस्तीन शामिल हैं।

भारत ने जिस तरह से क्षेत्रीय स्थिरता के लिए साइप्रस और लीबिया का उल्लेख करते हुए ग्रीस से चर्चा की, उससे साफ है कि तुर्की को भी भारत एक संदेश देना चाहता था। तुर्की की सरकार को डर है कि पूर्वी भूमध्यसागर का इस्तेमाल तुर्की को अलग-थलग करने की कोशिशों में किया जा रहा है। पश्चिम एशिया की राजनीति व अर्थव्यवस्था को दिशा देने में जिस तरह से खाड़ी देशों की भूमिका बढ़ी है, उसके चलते भी पश्चिम एशिया क्वाड के निर्माण की धारणा को बल मिला है। फ्रांस, रूस और चीन जैसी बड़ी ताकतों का रुझान भी पूर्वी भूमध्यसागर में बढ़ा है। चीन का ग्रीस के साथ जिस तरह की ऊर्जा साङोदारी रही है और ग्रीस जैसे देशों को चीन ने अपनी बेल्ट रोड पहल से जोड़ रखा है, उसके नकारात्मक परिणाम न आने देने के लिए पश्चिम एशिया में क्वाड्रीलैटरल इकोनामिक फोरम बनाने का निर्णय पूरी तरह से सही है।

वित्त वर्ष 2020-2021 में भारत और इजरायल के बीच वस्तुओं और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 4.14 अरब डालर का रहा है। साथ ही व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है जिसका मतलब है कि भारत वस्तुओं और सेवाओं का इजरायल को निर्यात अधिक करता है और आयात कम। लेकिन वस्तुओं और सेवाओं के इस द्विपक्षीय व्यापार में प्रतिरक्षा व्यापार शामिल नहीं है। उसकी गणना अलग से की जाती है। अभी अमेरिका, इजरायल और यूएई के विदेश मंत्रियों की 13 अक्टूबर को वाशिंगटन में बैठक हुई और उसकेकुछ दिनों बाद इन तीनों देशों और भारत के बीच बैठक हुई। यह इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक व्यापार को मजबूती देने के लिए इन चारों देशों में सहमति बन रही है।

भारतीय विदेश मंत्री ने जिस प्रकार से इजरायल में रह रहे प्रवासी भारतीयों को भारत इजरायल संबंधों के अंबीलिकल कार्ड (गर्भनाल) का दर्जा दिया वह भारत के महत्व को दर्शाता है। अंबीलिकल कार्ड वह महत्वपूर्ण अंग है जो गर्भाशय में विकसित होता है और इसी के जरिये गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण पहुंचता है। यानी भारत और इजरायल के संबंधों को पोषण प्रदान करने वाले भारतीय प्रवासी ही हैं। भारतीय डायस्पोरा की बात करें तो इजरायल में भारतीय मूल के लगभग 85 हजार यहूदी रहते हैं। इन यहूदियों के अभिभावकों में से कम से कम एक भारतीय हैं और इन सबके पास इजरायली पासपोर्ट हैं।

वर्ष 1950 के बाद भारत के नागरिकों का इजरायल जाना शुरू हुआ। महाराष्ट्र से जाने वाले जो लोग इजरायल में बस गए उन्हें बेनी इजराइलिस कहा जाता है, जबकि केरल से जाने वाले यहूदी लोगों को कोचीनी यहूदी कहा जाता है। वहीं कोलकाता से जाने वाले यहूदियों को वहां बगदादी यहूदी कहा जाता है। हाल के वर्षो में भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों से जिन यहूदियों ने इजरायल में प्रव्रजन किया है उन्हें बेनी मेनाशी कहते हैं। भारतीय विदेश मंत्री ने अपनी इजरायल यात्र के दौरान यह भी कहा है कि इन प्रवासियों द्वारा इजरायल में भारतीय संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा, भाषा, पूजा पाठ की पद्धतियों, खानपान और वेषभूषा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय मूल के कोचीन के एलियाहू बेजालेल जो इजरायल में प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक हैं, उन्हें वर्ष 2005 में प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त प्राप्त हुआ था और ऐसा सम्मान पाने वाले भारतीय मूल के वह पहले यहूदी थे।

भारत और इजरायल के मध्य प्रतिवर्ष लगभग एक अरब डालर का प्रतिरक्षा व्यापार होता है। भारत महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों और हथियारों का आयात इजरायल से करता रहा है। भारत के लिए दक्षिण एशिया में आतंकवाद से निपटने, हंिदू महासागर की सुरक्षा समेत पाकिस्तान और चीन से सामरिक दृष्टि से निपटने में इजरायल भारत के लिए उपयोगी है। इजरायल ने भारत को फाल्कन अवाक्स रडार, बराक मिसाइल, ग्रीन पाइन रडार और स्पाइस बम प्रदान किए हैं। वर्ष 2019 में भारत ने इजरायल से 30 करोड़ डालर मूल्य वाले 100 स्पाइस बम खरीदने का समझौता किया है। भारत ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ बालाकोट स्ट्राइक में स्पाइस बम का ही उपयोग किया था। इसके अलावा इजरायल भारत को मानवरहित विमान हेरान और हारूप दे चुका है।

भारत और इजरायल के प्रतिरक्षा संबंधों को मजबूती दोनों देशों के मध्य हुए ‘होमलैंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट’ से भी मिली है। उल्लेखनीय है कि इस समझौते के तहत सीमा पार आतंकवाद से निपटने, आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने, अपराध नियंत्रण और निरोध तथा पुलिस आधुनिकीकरण के विषयों पर बल दिया जाता है। भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ किए गए सर्जिकल स्ट्राइक में स्पाइस बम का इस्तेमाल किया जाना होमलैंड सिक्योरिटी के लिए दोनों की वचनबद्धता को दर्शाता है।

[अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार]

chat bot
आपका साथी