अफगानिस्तान में भारत के लिए बढ़ी चुनौती, अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के सत्ता में लौटने के आसार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा करके भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ा दी है। अफगानिस्तान के कई इलाकों से पाक समर्थित तालिबानी शक्तियों के आगे बढ़ने की सूचनाएं आ रही हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:16 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:23 AM (IST)
अफगानिस्तान में भारत के लिए बढ़ी चुनौती, अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के सत्ता में लौटने के आसार
जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा करके भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ा दी है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सितंबर, 2021 तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा करके भारत की रणनीतिक चिंताएं बढ़ा दी हैं। राष्ट्रपति बाइडन की घोषणा के साथ ही जिस तरह अफगानिस्तान के कई इलाकों से पाकिस्तान समर्थित तालिबानी शक्तियों के आगे बढ़ने की सूचनाएं आ रही हैं, वे भारत की चिंता को और पुख्ता करती हैं। अफगानिस्तान में अभी तक तीन अरब डालर का निवेश कर चुके भारत को लगता है कि तालिबान न सिर्फ वहां उसकी परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे बल्कि वहां की अस्थिरता कश्मीर में भी पाकिस्तान के मंसूबों को हवा दे सकती है। 

सीडीएस रावत ने जताई चिंता 

वैसे भारत कूटनीतिक स्तर पर लगातार अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ संपर्क में है, लेकिन इन देशों की तरफ से इस बात का पुख्ता आश्वासन नहीं है कि भारत की अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में क्या भूमिका होगी। यही वजह है कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी अफगानिस्तान के बदले हालात को लेकर चिंता प्रकट की है।

विध्वंसक शक्तियों के सक्रिय होने का खतरा 

रायसीना डायलाग में हिस्सा लेते हुए जनरल रावत ने कहा, 'हमारी चिंता यह है कि वहां सैनिकों की वापसी के बाद एक शून्य पैदा हो सकता है। नाटो को वहां विध्वंसक शक्तियों के लिए जगह खाली नहीं करनी चाहिए। कई शक्तियां अफगानिस्तान में सक्रिय होने के लिए हालात पर नजर रखे हुए हैं।' 

सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है भारत 

जनरल रावत ने अफगानिस्तान को लेकर अमेरिकी नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका वहां क्या चाहता है, जहां तक भारत की बात है तो वह अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए और सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है। हालांकि उन्होंने इसे विस्तार से नहीं बताया लेकिन अमेरिकी सैनिकों की वापसी से उपजे हालात पर भारत का नजरिया रख दिया।

भारत की पैनी नजर 

भारत को अभी उम्मीद अमेरिकी नेतृत्व में अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को लेकर होने वाली बैठक को लेकर है। साथ ही भारत यह भी देखना चाहेगा कि राष्ट्रपति बाइडन ने बुधवार रात सैन्य वापसी की घोषणा करते समय जो वादे किए हैं उसे जमीन पर लागू करने के लिए कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। 

अमेरिका कर चुका है तालिबान को आगाह 

बाइडन ने तालिबान को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में कोई हिंसक घटना होती है और अमेरिका व उसके सहयोगियों के हितों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो हम सीधे तौर पर तालिबान को जिम्मेदार ठहराएंगे। हम इस क्षेत्र के दूसरे देशों को भी अफगानिस्तान की मदद करने को कहेंगे खास तौर पर पाकिस्तान, रूस, चीन, भारत एवं तुर्की को। 

पाकिस्‍तान से मुद्दे को उठा चुका है अमेरिका 

इसके अलावा अमेरिका की तरफ से भारत को लगातार आश्वस्त किया जा रहा है कि पाकिस्तान तालिबान के साथ मिलकर भारत के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा के बीच टेलीफोन पर हुई वार्ता में खास तौर पर इस मुद्दे को उठाया गया है।

शांति स्थापित करने पर जोर 

भारत की भावी नीति को लेकर सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में अफगानिस्तान को लेकर दुशांबे में हुई बैठक में प्रस्ताव किया था कि संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की पहल हो। अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित बैठक में भी भारत यही दोहराएगा। हाल ही में भारत के दौरे पर आए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के समक्ष भी भारत ने इसी फार्मूले की बात कही थी। 

जायज है भारत की चिंता 

भारत की चिंता की मुख्य वजह पुराना अनुभव है। पूर्व में पाकिस्तान समर्थित तालिबानों के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में भारत की मदद से तैयार सभी संस्थानों को बर्बाद कर दिया गया था। अभी अफगानिस्तान में भारत की मदद से तकरीबन 500 छोटी-बड़ी परियोजनाओं को चलाया जा रहा है। इन सभी का भविष्य फिर अनिश्चित हो जाएगा। जिस भारतीय विमान का अपहरण करके काबुल ले जाया गया था उन आतंकियों को तालिबान का समर्थन था। इस विमान को छुड़ाने में भारत को तीन पाकिस्तानी आतंकियों को छोड़ना पड़ा था।

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