FATF Meeting: आतंकी फंडिंग पर अधर में पाक का भविष्य, हो सकता है ब्लैकलिस्ट

FATF Meeting रविवार से शुरू हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग मामले में पाकिस्तान के भाग्य का फैसला होना है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 11:47 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 07:18 AM (IST)
FATF Meeting: आतंकी फंडिंग पर अधर में पाक का भविष्य, हो सकता है ब्लैकलिस्ट
FATF Meeting: आतंकी फंडिंग पर अधर में पाक का भविष्य, हो सकता है ब्लैकलिस्ट

नई दिल्ली, आइएएनएस। फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक रविवार से शुरू हुई। इस बैठक में आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग मामले में पाकिस्तान के भाग्य का फैसला होना है। अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। अभी पाकिस्तान एफएटीएफ के 'ग्रे लिस्ट' में है।

32 मानकों पर पूरी तरह विफल रहा पाक

पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का मतलब होगा कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से लोन नहीं मिलेगा। मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ ने पिछले साल जून में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में डाला था। संस्था ने 27 बिंदुओं पर काम करने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर, 2019 तक का समय दिया था। एफएटीएफ की इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने 23 अगस्त को कहा था कि पाकिस्तान आतंकी फंडिंग को रोकने में विफल साबित हुआ है। उसने यह भी कहा था कि पाकिस्तान 40 मानकों में से 32 मानकों पर पूरी तरह विफल रहा है।

पाकिस्तान का दल रवाना

एफएटीएफ की बैठक में शामिल होने के लिए आर्थिक मामलों के मंत्री हमद अजहर के नेतृत्व में पाकिस्तान का एक दल रविवार को पेरिस रवाना हुआ। इसमें राष्ट्रीय आतंकरोधी अधिकरण, फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी समेत विभिन्न एजेंसियों के सदस्य भी शामिल हैं।

पाक को बचाएगा चीन ?

चीन इस समय एफएटीएफ का अध्यक्ष है। उसमें मलेशिया और तुर्की और सऊदी अरब भी शामिल है। ये सभी देश पाकिस्तान के मित्र हैं। अगर तीन देश पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के विरोध में वोटिंग करते हैं तो उसे ब्लैकलिस्ट नहीं किया जा सकता है। रणनीतिक मामलों के जानकार जय कुमार वर्मा का कहना है कि पूरी संभावना है कि चीन, मलेशिया और तुर्की पाकिस्तान के पक्ष में ही मतदान करेंगे। हालांकि, पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में भी बना रहता है तो भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अप्रैल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी कहा था कि अगर उनका देश ग्रे लिस्ट में रहता है तो उसे सालाना 10 अरब डॉलर (लगभग 70 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ेगा।

पीएम के सवालों पर एफएटीएफ को संज्ञान लेना चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में कहा था कि अमेरिका और मुंबई में हुए आतंकी हमले के अपराधी किस देश में छिपे बैठे हैं, यह पुरी दुनिया जानती है। एफएटीएफ की बैठक में इन बातों पर भी गौर किया जा सकता है।

क्या है एफएटीएफ

एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है। सात औद्योगिक देशों के समूह ने 1989 में इसकी स्थापना की थी। पेरिस मुख्यालय वाला यह निकाय दुनिया भर में मनी लांड्रिंग, विनाश वाले हथियारों के प्रसार और आतंकी फंडिंग पर नजर रखता है। संबंधित देशों को इसे रोकने के लिए कुछ उपाय सुझाता है और अगर कोई देश उस पर अमल नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करता है।

chat bot
आपका साथी