G-20 Summit : पीएम मोदी बोले- दुनिया के लिए 500 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने को तैयार, दिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को जी-20 के पहले सत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य में कोरोना से लड़ाई में भारत के योगदान पर बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के वन अर्थ वन हेल्थ विजन का भी उल्‍लेख किया...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 09:36 PM (IST) Updated:Sun, 31 Oct 2021 01:26 AM (IST)
G-20 Summit : पीएम मोदी बोले- दुनिया के लिए 500 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने को तैयार, दिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को जी-20 के पहले सत्र में कोरोना से लड़ाई में भारत के योगदान पर बात की।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। दुनिया के मजबूत अर्थव्यवस्था वाले 20 देशों के प्रमुखों की बहुप्रतीक्षित जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को वह भरोसा दिलाया है जिसकी क्षमता आज की तारीख में सिर्फ भारत के पास ही है। कोरोना महामारी से कराहती और वैक्सीन का इंतजार करती दुनिया से पीएम मोदी ने कहा है कि भारत अगले वर्ष तक 500 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन करने के लिए तैयार है जिसका एक बड़ा हिस्सा दूसरे देशों को दिया जाएगा।

'वन अर्थ वन हेल्थ' का दिया विजन

यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के 'वन अर्थ वन हेल्थ' विजन पर भी बात की जिसका जी-20 में विश्व के नेताओं ने स्वागत किया। पीएम मोदी ने कहा कि एक दूसरे की मदद किए बगैर आने वाली महामारियों का सामना करना मुश्किल होगा।

यह है सम्‍मेलन का एजेंडा 

कोरोना महामारी के चलते दो साल बाद आमने-सामने की दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन शनिवार को इटली की राजधानी रोम में शुरू हुआ। सम्मेलन का एजेंडा जलवायु परिवर्तन, कोरोना के बाद आर्थिक सुधार और न्यूनतम वैश्विक कारपोरेट टैक्स व्यवस्था है। 

भारतीय दल में ये नेता रहे शामिल

पीएम मोदी की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय भारतीय दल भी सम्मेलन में शामिल हुआ। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, एनएसए अजीत डोभाल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं। 

इन देशों के नेता हुए शामिल 

इस शिखर सम्मेलन में भारत के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन समेत तुर्की, इटली, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फ्रांस, जर्मनी, मेक्सिको, रूस, अर्जेंटीना, ब्राजील, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण को‍रिया के शीर्ष नेता शामिल हुए हैं। चीन और रूस के राष्ट्रपति ने बैठक में वर्चुअल तरीके से हिस्सा लिया।

जारी होगा घोषणा पत्र 

बैठक की तरफ से रविवार को संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा। माना जा राह है कि यह कोरोना महामारी के बाद की दुनिया की भावी आर्थिक नीति का एक रोडमैप होगा। कोरोना की वजह से पिछले साल की जी-20 बैठक वर्चुअल तरीके से हुई थी। भारत वर्ष 2023 में जी-20 बैठक की अध्यक्षता करेगा। शनिवार की बैठक बंद कमरे में हुई। लिहाजा नेताओं की तरफ से दिए गए भाषण की कापी उपलब्ध नहीं हो पाई है।

महामारी में की दुनिया की मदद

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से बताया कि भारत पूरी दुनिया के लिए एक जैसी स्वास्थ्य व्यवस्था की क्यों वकालत करता है। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत की अब तक स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया के 20 मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों के प्रमुखों को यह भी बताया कि संकट की इस घड़ी में भारत ने किस तरह से आगे आकर दूसरे देशों की मदद की।

वैक्‍सीन को लेकर उदारता बरतने की अपील 

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने पीएम मोदी की तरफ से दिए गए भाषण और बैठक में हुई चर्चा के बारे में प्रेस को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने सभी देशों को एक दूसरे की कोरोना वैक्सीन को मान्यता देने को लेकर प्रायोगिक कदम उठाने को कहा और साथ ही बहुराष्ट्रीय एजेंसियों से भी भारत जैसे देशों में निर्मित वैक्सीन को शीघ्रता से मंजूरी देने का आग्रह किया।

कोवैक्सीन को नहीं मिल पाई है मंजूरी

सनद रहे कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन को विश्‍व स्वास्थ्य संगठन की अभी मंजूरी नहीं मिल पाई है। दोनों पक्षों में बैठकों का दौर चल रहा है। मोदी ने कहा कि इस बारे में जल्दी फैसला होने से भारत के लिए दूसरे देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराना आसान होगा।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान को बताया

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सौ करोड़ वैक्सीन अपने नागरिकों को दे चुका है और अगले वर्ष के अंत तक 500 करोड़ वैक्सीन बनाने को तैयार है। कोरोना काल में भारत ने तमाम बाधाओं के बावजूद 150 देशों को दवाइयों के साथ ही कई देशों को वैक्सीन मुहैया कराई हैं।

वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव की जरूरत

पीएम मोदी ने जी-20 देशों के नेताओं के समक्ष भारत की आर्थिक संभावनाओं और इस संदर्भ में सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए सुधारवादी कदमों को भी रखा। उन्होंने कोरोना काल में हेल्थ सेक्टर में सहयोग स्थापित करने के महत्व के साथ ही वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव की जरूरत को भी रेखांकित किया और सदस्य देशों को कहा कि सप्लाई चेन में उनके साथ सहयोग करने को भारत तैयार है। रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने वैश्विक सप्लाई चेन पर एक विशेष बैठक बुलाई है जिसमें पीएम मोदी भी हिस्सा लेंगे।

कठिन समय में आइटी सेक्टर ने अपनी क्षमता दिखाई

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सूचना प्रौद्योगिकी एवं बीपीओ सेक्टर ने कोरोना काल में दिखाया है कि तमाम अड़चनों के बावजूद वो वैश्विक स्तर पर अपनी सेवा देने में सक्षम हैं।

न्यूनतम कारपोरेट टैक्स दर की वकालत

पीएम मोदी ने जी-20 देशों के बीच न्यूनतम कारपोरेट टैक्स दर की नीति लागू करने को लेकर बनी सहमति पर संतोष जताया। वर्ष 2014 में पहली बार इस बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ही इसका प्रस्ताव किया था। अब यह प्रस्ताव सभी देश स्वीकार कर रहे हैं। इसके तहत 15 प्रतिशत से नीचे कोई भी देश टैक्स की दर तय नहीं करेगा। इससे कंपनियां एक देश को छोड़ कर कम टैक्स रेट वाले दूसरे देश में अपना कारोबार शिफ्ट नहीं करेंगी। पीएम ने वैश्विक स्तर पर भी इस व्यवस्था को लागू करने की वकालत की।

जी-20 देशों में प्रभावी कारपोरेट टैक्स पर बनी सहमति

जी-20 शिखर बैठक के उद्घाटन भाषण में इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने कहा कि समूह के सदस्य देशों के बीच निष्पक्ष और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली को लेकर सहमति बन गई है, जिसमें न्यूनतम कारपोरेट टैक्स 15 प्रतिशत करने की व्यवस्था है। यह कर प्रणाली 2023 से लागू होनी है। इसके लागू होने के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों को किसी भी देश में काम करने पर कम से कम 15 प्रतिशत कारपोरेट टैक्स देना पड़ेगा। द्राघी ने कहा कि अमीर देशों ने गरीब देशों के लिए और अधिक कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने का संकल्प दोहराया है।

अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर भुखमरी रोकें जी-20 देश

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों की एजेंसी के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ ने जी-20 सदस्य देशों से आग्रह किया है कि वे अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर होने वाली भुखमरी को रोकें। एपी के साथ बातचीत में ग्रिफिथ ने कहा कि अफगानिस्तान में आवश्यकताएं आसमान छू रही हैं। अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है, आधी से ज्यादा आबादी के सामने भोजन का संकट पैदा हो गया है और सर्दी का मौसम भी आ गया है। पांच साल से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों के लिए कुपोषण का खतरा बढ़ गया है।

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