विदेश मंत्री जयशंकर से वार्ता, ईरान का रवैया बदला, कहा- चाबहार पोर्ट का विकास तेज करे भारत

चाबहार पोर्ट को लेकर पिछले कुछ समय से चिंतित करने वाला रवैया अपना रहे ईरान का रुख बदल गया है। ईरान के नए विदेश मंत्री आमिर अब्दोलाहियां ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा है कि भारत को चाबहार पोर्ट को विकसित करने का काम तेज करना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 09:56 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 01:05 AM (IST)
विदेश मंत्री जयशंकर से वार्ता, ईरान का रवैया बदला, कहा- चाबहार पोर्ट का विकास तेज करे भारत
चाबहार पोर्ट को लेकर पिछले कुछ समय से चिंतित करने वाला रवैया अपना रहे ईरान का रुख बदल गया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। चाबहार पोर्ट को लेकर पिछले कुछ समय से चिंतित करने वाला रवैया अपना रहे ईरान का रुख बदल गया है। ईरान के नए विदेश मंत्री आमिर अब्दोलाहियां ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा है कि भारत को चाबहार पोर्ट को विकसित करने का काम तेज करना चाहिए। यह दोनों विदेश मंत्रियों की पहली वार्ता थी। ईरान में हाल ही में नई सरकार का गठन हुआ है। दोनों के बीच चाबहार के साथ ही अफगानिस्तान को लेकर भी काफी गहन विमर्श हुआ है।

सहयोग करने की अपील

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद भारत और ईरान की चिंताएं एक समान हैं। वार्ता के बाद ईरान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि दोनों देश अफगानिस्तान में ऐसी सरकार का पक्ष लेंगे जो समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व दे। साथ ही वहां की मौजूदा संकट को दूर करने में आस पास के देशों को सहयोग करने की भी अपील की गई है।

चाबहार पोर्ट को लेकर अपील की 

भारत के साथ कारोबार के बारे में ईरान ने कहा है कि वह द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट के काम को और तेज करने की अपील भी भारत से की गई है। ईरान की तरफ से यह अपील इसलए महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष उसने भारत को संकेत दिया था कि चाबहार पोर्ट के काम में अब चीन की भूमिका बढ़ाई जा सकती है। वैसे अमेरिकी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध की वजह से भारत के लिए ईरान के साथ कारोबार करना अभी आसान नहीं है।

ईरान की अहमियत बढ़ी

भारत ने वर्ष 2019 के बाद ईरान से क्रूड खरीदना भी बंद कर दिया है। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद भारत के लिए ईरान की अहमियत बढ़ गई है। संकेत इस बात के हैं कि भारत अमेरिका की ¨चता किए बगैर ईरान के साथ अपने रिश्तों को मजबूत बनाने पर विचार कर रहा है।

चाबहार पोर्ट बेहद महत्‍वपूर्ण

यही वजह है कि ईरान में जब इब्राहिम रईसी की अगुआई में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ तो सबसे पहले जयशंकर उनसे मिलने पहुंचे। बाद में रईसी के शपथ ग्रहण समारोह में भी उन्होंने हिस्सा लिया। भारत चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ जोड़ने की मंशा रखता है। भारत वहां एक इकोनॉमिक जोन भी बनाना चाहता है, जहां उर्वरक की फैक्ट्री लगाई जा सके। ईरान से गैस लेकर उस इकोनॉमिक जोन में उर्वरक तैयार कर भारत लाने की लागत काफी कम होगी। 

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