भारत-चीन के रिश्ते सबसे बेहतरीन दौर में: चीनी राजदूत
चीन के नये राजदूत लाउ झाहुई ने कहा है कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान में हुई बातचीत में दोनों देशों के रिश्ते में बदलाव आया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत और चीन के रिश्तों में नई ताजगी भरने की कोशिश में जुटे नई दिल्ली में चीन के नये राजदूत लाउ झाहुई ने कहा है कि दोनो देशों के रिश्ते अभी सबसे बेहतरीन दौर में है। इसका श्रेय उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान में हुई अनौपचारिक बातचीत को दिया है।
चीन भारत युवा वार्ता नाम की एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए झाहुई ने वुहान में हुई मुलाकात को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि दोनो देशों की तरफ से दोनो नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने की कोशिश की जा रही है।
चीन के राजदूत के इस बयान की अपनी अहमियत है। वुहान बैठक के बाद भारत की तरफ से भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। मसलन, बुधवार को अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के अधिकारियों की संयुक्त बैठक के बाद जारी बयान में हर देश ने चीन की तरफ से इशारा किया है लेकिन भारत ने इससे परहेज किया।
इसी तरह से बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को लेकर भी भारत अब ज्यादा संयम बरतता है। पिछले वर्ष तक दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनाव भरे चल रहे थे लेकिन उन्होंने मौजूदा द्विपक्षीय रिश्तों की बेहद सकारात्मक तस्वीर खींचने की कोशिश की है।
उन्होंने अपने बेहद सारगर्भित भाषण में न सिर्फ भारत व चीन के बेहद पुराने व ऐतिहासिक रिश्तों के बारे में बताया बल्कि यह भी बताया कि मौजूदा समय में किस तरह के सकारात्मक संबंध विकसित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि चीन अभी भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है।
पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच 84 अरब डॉलर का कारोबार किया गया। अभी चीन की 1,000 कंपनियां भारत में काम कर रही हैं और इनकी वजह से एक लाख लोगों को रोजगार मिला है। 20 हजार भारतीय छात्र अभी चीन में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने यह भी जरुर कहा कि, 'हमें इतिहास नहीं भूलना चाहिए।' लेकिन इसका संदर्भ कुछ और था।
चीन के राजदूत ने ज्यादा से ज्यादा भारतीय एथलिटों को चीन में प्रशिक्षण देने और ज्यादा भारतीय फिल्मों के वहां प्रदर्शन कराने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि चीन ज्यादा से ज्यादा भारतीय इंजीनियरों को अपने यहां काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
यह घोषणा बेहद अहम है क्योंकि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। लेकिन चीन के राजदूत ने संकेत दिए कि चीन की सरकार का मन बदल रहा है। बताते चलें कि हाल के दिनों में चीन ने भारत के साथ अपने व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने के लिए भी कई फैसले किये है।