China Nepal Relations: आइये जानेें चीन द्वारा नेपाल को महत्व दिए जाने के पीछे की वजहें क्या हैं?
China Nepal Relations नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति के इस दौरे को चीनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। China Nepal Relations भारत का दो दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग शनिवार को महाबलीपुरम से सीधे काठमांडू पहुंचे। 23 साल के बाद कोई चीन का राष्ट्रपति नेपाल के दौरे पर है तो इसके कुछ मायने हैं। नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति के इस दौरे को चीनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। आइये जानते हैं कि चीन द्वारा नेपाल को महत्व दिए जाने के पीछे की वजहें क्या हैं?
भारत को चुनौती
भारत को चुनौती देने के लिए चीन धीरे-धीरे नेपाल में अपनी पैठ बना रहा है। वह नेपाल में अपनी राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक छाप छोड़ रहा है। चीन का प्रभाव दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ रहा है। वो चाहे नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान या बांग्लादेश हो। हर जगह चीन की मौजूदगी बढ़ी है। ये सभी देश चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना (ओबीओआर) में शामिल हो गए हैं। भारत इस परियोजना के पक्ष में नहीं है।
भारत का बनना चाहता है विकल्प
नेपाल और भारत के बीच संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। दोनों देशों के बीच खुली सीमा है, बेशुमार व्यापार है, रीति रिवाज भी एक जैसे हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच पारिवारिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संबंधों को कैसे खत्म किया जाए? उसके लिए चीन दोनों देशों के बीच खुली सीमाओं को बंद करने और पासपोर्ट लागू करने का प्रयास कर रहा है।
इसके लिए नेपाल को मनाने के लिए उसने हाल के वर्षों में वहां भारी निवेश किया है। वह नेपाल में कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसमें बुनियादी ढांचों सी जुड़ी परियोजनाएं सबसे ज़्यादा हैं, जैसे एयरपोर्ट, रोड, अस्पताल, कॉलेज, मॉल्स रेलवे लाइन। यानी अपनी कई जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर रहने वाले नेपाल को चीन भारत का विकल्प मुहैया करा रहा है।
सीमाओं तक पहुंचने की रणनीति
भारत से लगी सीमाओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए चीन नेपाल में रेल और सड़क विस्तार करने जा रहा है। चीन के केरुंग से काठमांडू तक रेलवे ट्रैक के निर्माण में वह बहुत अधिक दिलचस्पी दिखा रहा है। चीन की योजना है कि इस रेल विस्तार को लुंबिनी तक पहुंचाया जाए।
ओबीओआर सबसे बड़ा फैक्टर
हिंदू बहुल देश नेपाल में चीन का दिलचस्पी लेना काफी अहम है। चीन ने साल 2017 में नेपाल के साथ अपनी वन बेल्ट वन रोड परियोजना के लिए द्विपक्षीय सहयोग पर समझौता किया था। माना जा रहा है कि इस दौरान इस परियोजना पर नेपाल और चीन के बीच बातचीत होगी। नेपाल को इस परियोजना में शामिल हुए दो साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उसने इस परियोजना के तहत कोई कार्य शुरू नहीं किया है।
नेपाल के जरिये अमेरिका को चुनौती
दरअसल, नेपाल के करीब जाने की कोशिश अकेला चीन ही नहीं बल्की अमेरिका भी लगातार कर रहा है। एक तरफ जहां चीन अपनी बेल्ट एंड रोड परियोजना चला रहा है तो वहीं अमेरिका इंडो- पैसिफिक नीति पर काम कर रहा है। इसी साल जून में अमेरिकी रक्षा विभाग ने इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटिजी रिपोर्ट (आईपीएआर) प्रकाशित की थी।
इस रिपोर्ट में नेपाल के बारे में लिखा गया था कि अमेरिका नेपाल के साथ अपने रक्षा सहयोगों को बढ़ाना चाहता है। हालांकि इसके जवाब में नेपाल सरकार ने कहा था कि नेपाल कोई भी ऐसा सैन्य गठबंधन नहीं करेगा, जिसका निशाना चीन पर होगा। चीन ने ही नेपाल से अमेरिका की इंडो- पैसिफिक नीति में शामिल न होने की अपील की है।
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