Bangladesh Violence: पाकिस्तान की तरह इस्लामिक कट्टरपंथ बनने की राह पर बांग्लादेश

Bangladesh Violence बांग्लादेशी हुकूमत को याद रखना चाहिए कि भारत ने बांग्लादेश के मुक्ति आंदोलन में उसका साथ दिया था लिहाजा भारत को तो अभी ही कड़ाई के साथ बांग्लादेश पर इस बात के लिए दबाव बनाना चाहिए कि वह अपने देश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 12:08 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 05:35 PM (IST)
Bangladesh Violence: पाकिस्तान की तरह इस्लामिक कट्टरपंथ बनने की राह पर बांग्लादेश
बांग्लादेशी हुकूमत द्वारा कुछ भी ठोस किया जाता नहीं दिख रहा।

पीयूष द्विवेदी। वर्ष 1971 में जब बांग्लादेश का गठन हुआ था तो उसने स्वयं को पाकिस्तान से अलग एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया था। संवैधानिक रूप से वह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में रहा। लेकिन वहां जनसंख्या में मुस्लिम समुदाय का आधिक्य था जिसे शायद धर्मनिरपेक्षता का ये बाना कभी पसंद नहीं आया। वर्ष 1988 में बांग्लादेश के सैन्य शासक हुसैन मोहम्मद इरशाद ने संविधान संशोधन के जरिये इस्लाम को बांग्लादेश का राजकीय धर्म घोषित कर दिया।

हालांकि कुछ लोग इस मामले को अदालत में जरूर ले गए, लेकिन अदालतों में बैठे लोग भी अधिकांशत: उसी मानसिकता के थे, लिहाजा कुछ वर्षो के बाद यह मामला खारिज हो गया। इस तरह धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ बांग्लादेश इस्लामिक राष्ट्र बन गया। हालांकि वहां की सरकारें धर्मनिरपेक्षता की बात करती रहती हैं, लेकिन वास्तविकता यही है कि धर्मनिरपेक्षता अब न तो बांग्लादेश के संविधान में बची है और न ही वहां के बहुसंख्यक समुदाय के व्यवहार में दिखाई देती है। अब वहां सबकुछ उस इस्लामिक कट्टरपंथ जैसा रूप लेता जा रहा है जिसमें इस्लाम के अतिरिक्त और किसी भी मजहब या विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं रह जाती।

यह कट्टरपंथ अब इतना विकराल रूप ले चुका है कि बीते कुछ वर्षो के दौरान बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले लेखकों और ब्लागरों की हत्या भी की गई। ऐसे लेखकों और ब्लागरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के बजाय बांग्लादेश की पुलिस द्वारा उन्हें सीमा में रहने की नसीहत दी गई। बांग्लादेश की पुलिस का यह चरित्र आज भी है। बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों पर किए जाने वाले हमले से संबंधित मामलों में बांग्लादेश की पुलिस दिखावे की कार्रवाई करते हुए लीपापोती करने में लग जाती है।

अब जिस देश में पुलिस ही इस सोच से चल रही हो, वहां के लिए धर्मनिरपेक्षता, उदारता और सामाजिक समरसता जैसी चीजों की बात करना बेमानी ही प्रतीत होता है। दरअसल बांग्लादेश ने पाकिस्तान के जिस तरह के अत्याचार से त्रस्त होकर अपनी मुक्ति की मांग शुरू की थी, वो यही था कि पश्चिमी पाकिस्तान, तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश की अस्मिता पर खुद का जबरन नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करने लगा था। परिणामत: बगावत हुई और फिर भारत के सहयोग से बांग्लादेश अस्तित्व में आया। लेकिन आज बांग्लादेश में भी वही स्थिति पैदा होती जा रही है, बस लोग अलग हैं। आज बांग्लादेश का बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने का दुष्प्रयास करता नजर आ रहा है, जिसे रोकने के लिए बांग्लादेशी हुकूमत द्वारा कुछ भी ठोस किया जाता नहीं दिख रहा।

[संस्कृति मामलों के जानकार]

chat bot
आपका साथी