FATF पर फ्रांस ने कहा, पाक नहीं पूरी कर रहा अपनी प्रतिबद्धता; दबाव बनाने की जरूरत
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भारत का आतंरिक मामला है। हम उसका सम्मान करते हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोई नहीं कह सकता कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है। इस कार्य के लिए उस पर दबाव बढ़ाए जाने की जरूरत है। यह बात सोमवार को भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लिनैन ने कही। पेरिस मुख्यालय वाले एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकियों को आर्थिक संसाधन मुहैया कराने के कारण ग्रे लिस्ट में डाल रखा है और ब्लैक लिस्ट में डालने की चेतावनी दी है।
पाकिस्तान पर नजर रखने की जरूरत
फरवरी 2020 में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान पर बड़ा फैसला हो सकता है। तब तक उसने पाकिस्तान को 27 बिंदुओं पर कार्य करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। एफएटीएफ आतंकी संगठनों और अपराधी गिरोहों को धन मुहैया कराने वाले देशों पर नजर रखती है और उनकी भूमिका निर्धारित करती है। लिनैन ने कहा, फरवरी तक हमें देखना होगा कि पाकिस्तान ने कितना काम किया।
सीएए पर टिप्पणी उचित नहीं
नागरिकता संशोधन कानून पर पूछे गए सवाल के जवाब में फ्रांसीसी राजदूत ने कहा, भारत लोकतांत्रिक देश है। कई बार किसी मसले पर विचारों का टकराव होता है। ऐसे में लोग अपनी बात लेकर सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं, वहां पर सही फैसला हो जाएगा। लिनैन ने कहा, वह नहीं सोचते कि किसी भी देश का भारत के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी करना उचित होगा। हम धार्मिक स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं और हमारे लिए किसी मसले पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में जाने वाले फ्रांसीसी नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी किए जाने के मामले में लिनैन ने कहा, यह सामान्य स्तर की एडवाइजरी है जो वहां चल रहे आंदोलनों को देखते हुए जारी की गई है।
भारत के लिए स्थायी सीट का समर्थन
उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन करते हैं। भारत-यूरोपीय संघ के बारे में एफटीए पर उन्होंने कहा कि हमारी स्थिति स्पष्ट है कि हम एफटीए पर चर्चा फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए एक सार्थक समझौता होना चाहिए।
अहम मुद्दों पर फ्रांस ने किया भारत का समर्थन
अगस्त के महीने में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें फ्रांस कश्मीर मुद्दे को लेकर खुलकर भारत के साथ आया। कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने भारत और पाकिस्तान से इसे बातचीत के जरिए सुलझाने की अपील की थी। साथ ही कहा था कि इस मुद्दे पर कोई तीसरा पक्ष न तो दखल दे और न ही कश्मीर में हिंसा भड़काने वाला काम करे।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस के सहयोग की सराहना की। फ्रांस ने पहले भी भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट प्राप्त करने का समर्थन किया है। दोनों देशों ने पहले ही Indo pacific नेविगेशन की स्वतंत्रता के प्रति अपना संकल्प व्यक्त किया था। जी 7 देशों के समूह सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया था। भारत और फ्रांस के बीच मधुर और प्रगाण संबंधों का असर भी इसमें देखा जा सकता है।