सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद मंजू रानी बोलीं- पदक जीतना कोई तुक्का नहीं था

Manju Rani EXCLUSIVE वुमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदत जीतने वालीं मंजू रानी ने कहा है कि उन्हें इस टूर्नामेंट में सफल होने पर पूरा भरोसा था।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 11:51 AM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 11:51 AM (IST)
सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद मंजू रानी बोलीं- पदक जीतना कोई तुक्का नहीं था
सिल्वर मेडल हासिल करने के बाद मंजू रानी बोलीं- पदक जीतना कोई तुक्का नहीं था

नई दिल्ली, अनिल भारद्वाज। टोक्यो ओलंपिक से पहले भारत को मंजू रानी के रूप में मुक्केबाजी की नई स्टार मिल गई है। मंजू के सामने चुनौतियां बड़ी थीं। बीएसएफ में तैनात पिता की मौत उस समय हो गई थी जब इस खिलाड़ी की उम्र महज 12 वर्ष की थी। इस मुक्केबाज ने रूस में खेली गई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में श्रेष्ठ प्रदर्शन से सभी को हैरत में डाल दिया। मंजू हरियाणा के जिला रोहतक के गांव रिठाल की हैं। मंजू के खेल सफर के विषय में जागरण संवाददाता ने मंजू रानी से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-

- आप पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने गई थीं। निश्चित रूप से विश्व चैंपियनशिप को लेकर आपने खास तैयारी की होगी, फिर भी क्या आपको पदक जीतने का भरोसा था?

--मैंने अच्छी तैयारी की थी। मुझे स्वयं पर भरोसा था कि मैं रूस से सफल होऊंगी। मेरा पदक जीतना कोई तुक्का नहीं था। सभी को पता है कि विश्व स्तरीय मुकाबले के लिए पहुंचा कोई भी मुक्केबाज कमजोर नहीं होता है। यहां मुकाबला दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों के साथ होता है।

- किस देश के मुक्केबाज को आप अपना सबसे तगड़ा प्रतिद्वंदी मान रहीं थीं?

--जब आप विश्व चैंपियनशिप में खेलते हो तो वहां किसी को कमजोर नहीं आंक सकते। कोरिया व रूस के मुक्केबाज मेरे ग्रुप में थे जो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। मैंने रूस में अच्छे मुक्केबाजों को हराया।

- फाइनल में रूस की मुक्केबाज के साथ जो आपकी बाउट हुई, उसमें आप कुछ असहज नजर आ रही थीं, क्या कारण था?

--मैंने अपने खेलने में कोई बदलाव नहीं किया था। रूस की मुक्केबाज को मुझसे अधिक अनुभव था और वह कामयाब रही। फाइनल बाउट मुझे बहुत कुछ देकर गई है। आने वाली प्रतियोगिताओं में इसका लाभ मिलेगा। एक न एक दिन रूस की मुक्केबाज का सामना मुझसे फिर होगा, तब हिसाब बराबर कर लूंगी

-क्या आप मिशन टोक्यो के लिए तैयार हैं?

--विश्व चैंपियनशिप व ओलंपिक में पदक जीतने का लक्ष्य हर खिलाड़ी का होता है। मेरा पहला लक्ष्य टोक्यो के लिए टिकट हासिल करना है। निश्चित रूप से वहां से पदक जीतकर मैं देश का मान बढ़ाने का काम करूंगी, ऐसा मुझे विश्वास है।

- क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में अच्छी सुविधाएं हैं?

--रूस विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक इसका सबूत है कि मुझे तैयारी के लिए बेहतर सुविधा मिली। हमें राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा मिल रही है, जिससे मैं रूस में पदक जीतने में कामयाब रही।

- अक्सर खिलाडि़यों का पदक जीतने का सिलसिला साउथ-एशियन, एशियन चैंपियनशिप से शुरू होता है, लेकिन आपकी शुरुआत विश्व चैंपियनशिप से हुई?

--इस समय मेरे सामने विश्व चैंपियनशिप थी और इसी को ध्यान में रखकर तैयारी की थी। कड़ी मेहनत का मुझे फल मिला और मैं कामयाब रही। किसी खिलाड़ी के मन में यह नहीं होना चाहिए कि आपकी पहली विश्व चैंपियनशिप है। खिलाड़ी को मुकाबला जीतने के लिए खेलना चाहिए और मैंने वही किया।

- आपने इस खेल को स्वयं चुना या किसी से प्रेरित होकर चुना?

--खेलने का मन मेरा था और परिवार का साथ मिला। मां और तीन बड़ी बहनों ने मुझे खेलने के लिए हमेशा प्रेरित किया। मेरे प्रशिक्षक साहब सिंह का भी बड़ा योगदान है। 

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