पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने मिल्खा सिंह को दी थी 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि, जानिए इस रोचक किस्से के बारे में

दुनिया के बड़े-बड़े एथलीटों को धूल चटाने वाले पंजाब के शेर मिल्खा सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। भारतीय सेना में कैप्टन पद से सेवानिवृत्त मिल्खा सिंह को सम्मान से लोग फ्लाइंग सिख बुलाते थे। उन्हें ये उपाधि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति से मिली थी। जानें- ये दिलचस्प किस्सा।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 05:04 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:32 PM (IST)
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने मिल्खा सिंह को दी थी 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि, जानिए इस रोचक किस्से के बारे में
मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख क्यों कहा जाता है

नई दिल्ली, जेएनएन। दुनिया में बहुत कम ऐसे एथलीट होते हैं, जिनको उनकी अद्भुत प्रतिभा के लिए उपनाम मिला है और वही उपनाम उनकी पहचान बन गई। ऐसा ही कुछ भारत के महान धावक पद्मश्री मिल्खा सिंह के साथ हुआ था। भारतीय सेना में कैप्टन पद से सेवानिवृत्त मिल्खा सिंह, पूरी दुनिया में फ्लाइंग सिख के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। भारतीय सेना के जांबाज खिलाड़ी मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख की उपाधि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने दी थी, जिसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है।

पाकिस्तान से खुद मिल्खा सिंह का जन्म का नाता है। वे ब्रिटिश काल में अखंड भारत के समय उस जगह पैदा हुए थे, जो अब पाकिस्तान के नक्शे पर है। 20 नवंबर 1929 को मिल्खा सिंह का जन्म ब्रिटिश इंडिया में पंजाब प्रांत के मुजफ्फरगढ़ शहर से 10 किलोमीटर दूर गोविंदपुर में हुआ था। अब ये हिस्सा पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले में स्थित है।

शुक्रवार 18 जून 2021 की देर रात मिल्खा सिंह ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अगर आपके मन में भी सवाल है कि मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख की उपाधि क्यों और किसने दी? तो इसका जवाब है उनको साल 1960 में उड़न सिख (फ्लाइंग सिख) की उपाधि पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयुब खान से मिली थी। हैरान करने वाली बात ये है कि मिल्खा सिंह पाकिस्तान जाने को तैयार नहीं थे, लेकिन उन्होंने बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा दी गई फ्लाइंग सिख की उपाधि को अपना लिया था।

दरअसल, 1960 के ओलंपिक खेलों में मिल्खा सिंह की हार सभी को याद होगी। वे 400 मीटर की रेस में चौथे स्थान पर रहे थे और उस खिलाड़ी से हारे थे, जिसे दो साल पहले हराकर उन्होंने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। इस हार से निराश और पाकिस्तान से बंटवारे के समय से ही नाराज चल रहे मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में इंटरनेशनल एथलीट कंपीटशन में भाग लेने से इन्कार कर दिया था। भारत और पाकिस्तान मित्रता चाहते थे, लेकिन मिल्खा तैयार नहीं थे।

असल में मिल्खा सिंह दोनों देशों के बीच के बंटवारे की घटना को नहीं भुला पाए थे, जहां उनके परिवार का कत्ल-ए-आम हुआ था। यही वजह थी कि उन्होंने पाकिस्तान के न्योते को ठुकरा दिया था, लेकिन बाद में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें समझाया कि पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखना जरूरी है। ऐसे में वे इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता में भाग लें, क्योंकि वे देश के स्टार खिलाड़ी हैं।  

देश की खातिर उनका मन बदल गया और वे पाकिस्तान में इंटरनेशनल एथलीट कंपटीशन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गए, जहां मिल्खा सिंह का मुकाबला पाकिस्तान के जाने-माने धावक अब्दुल खालिक से हुआ। खालिक भी दमदार स्प्रिंटर थे और वे भी एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके थे, लेकिन मिल्खा ने अब्दुल खालिक को उन्हीं के घर में हराकर इतिहास रच दिया। इस जीत के बाद उनको फ्लाइंग सिख की उपाधि मिली।

दरअसल, अब्दुल खालिक को हराने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह की तारीफ की और उनको 'फ्लाइंग सिख' की उपाधि से नवाजा। देश के दमदार धावक अब्दुल खालिक को हराने के बाद अयूब खान ने मिल्खा सिंह से कहा था, "आज तुम दौड़े नहीं, बल्कि उड़े हो। इसलिए हम तुम्हे 'फ्लाइंग सिख' के खिताब से नवाजते हैं।' इसके बाद से मिल्खा सिंह को पूरी दुनिया में 'फ्लाइंग सिख' के नाम से जाना जाने लगा।

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