Tokyo Olympics: सोनम मलिक ने आखिरी 45 सेकेंड में की गलती- साक्षी मलिक

सोनम मलिक आसानी से अपना मुकाबला जीत सकती थी अगर उन्होंने आखिरी 45 सेकेंड में गलतियां न की होती तो। हो सकता है कि वह विपक्षी खिलाड़ी के दांव से हैरान रह गई हों लेकिन आखिरी लम्हों में उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए था।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:57 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:38 PM (IST)
Tokyo Olympics: सोनम मलिक ने आखिरी 45 सेकेंड में की गलती- साक्षी मलिक
भारतीय महिला पहलवान सोनम मलिक (एपी फोटो)

(साक्षी मलिक का कालम)

मंगलवार को 2016 रियो ओलिंपिक खेलों को याद करने से खुद को रोकना बेहद मुश्किल था जहां भारत को आखिरी कुछ दिनों तक एक भी पदक नहीं मिला था। हमें पता है कि कई खेलों में हमारे पास शानदार एथलीट हैं लेकिन निराशा का माहौल पूरे दल को अपनी चपेट में ले लेता है। मैं जानती हूं कि इससे उन खिलाडि़यों पर कितना अधिक दबाव बढ़ जाता है जो अंत में अपनी-अपनी स्पर्धाओं में हिस्सा ले रहे होते हैं। मुझे विनेश फोगाट के साथ हुई अपनी बातचीत याद है जब उनसे पदक का सफर तय करने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन तभी उन्हें दिल तोड़ देने वाली चोट लग गई। मैं ये बात कह सकती हूं कि हम अतिरिक्त दबाव से बच नहीं सकते। मुझे उम्मीद है कि ऐसे में जबकि तीन पदक निश्चित हो चुके हैं और हॉकी टीम भी पदक की दौड़ में है, टोक्यो में मौजूद भारतीय दल में एनर्जी और सकारात्मकता का संचार होगा।

सोनम मलिक आसानी से अपना मुकाबला जीत सकती थी, अगर उन्होंने आखिरी 45 सेकेंड में गलतियां न की होती तो। हो सकता है कि वह विपक्षी खिलाड़ी के दांव से हैरान रह गई हों लेकिन आखिरी लम्हों में उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए था। हो सकता है कि मंगोलियाई खिलाड़ी ने इस बात को नोटिस कर लिया होगा कि सोनम ने थोड़ा सीधा खड़ा होना शुरू कर दिया है यानी कि या तो वह थक गई हैं या फिर तेज आक्रमण के लिए तैयार नहीं हैं। ये वो गलती है जो अधिकतर भारतीय पहलवान करते हैं जब वे बढ़त पर होते हैं। बढ़त के बाद हम रक्षात्मक हो जाते हैं। मुझे ये स्वीकार करना होगा कि अपने करियर में मैंने भी कई बार ऐसा रवैया अपनाया है जबकि इसके बजाय हमें बढ़त लेने के बाद और अंक बटोरने की कोशिश करनी चाहिए। उम्मीद है कि हमारे कोच युवा उम्र से पहलवानों की इस सोच को प्रोत्साहन देंगे।

अगर हमने किसी रणनीति की बदौलत अच्छा प्रदर्शन किया है तो हमें उसे पूरे छह मिनट तक बरकरार रखना चाहिए। अगर अटैक करके हमें सफलता मिली है तो हमें आक्रामक ही रहना चाहिए। सोनम अपने खेल की योजना पर कायम रहती तो और भी अंक बटोर सकती थीं, लेकिन उन्होंने 2-0 की बढ़त के बाद पर्याप्त अटैक नहीं किया। अप्रैल में एशियन ओलिंपिक क्वालीफायर के सेमीफाइनल में सोनम चोटिल हो गई थीं। मुझे नहीं पता कि इसका उनकी मैच फिटनेस पर असर पड़ा है या नहीं, लेकिन ये जरूर जानती हूं कि जब मंगलवार को वो मैट पर उतरी थीं तब उन्हें इस तरह के ख्यालों को अपने मन में नहीं आने देना चाहिए था। वह मजबूत खिलाड़ी हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि वो अनुभव के साथ और अच्छा खेलेंगी।

रवि दहिया, दीपक पूनिया और अंशु मलिक बुधवार को ओलिंपिक में अपना आगाज करेंगे। इन तीनों को सीनियर लेवल पर अधिक अनुभव नहीं है इसलिए उम्मीद है कि ये बिना किसी झिझक और डर के खेलने उतरेंगे। दुनिया के सबसे बड़े खेल मंच पर अपनी प्रतिभा और कौशल दिखाने का ये सबसे सही वक्त है। मुझे उम्मीद है कि भारत को बुधवार को एक और ओलिंपिक पदक विजेता मिल जाएगा। 

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