Exclusive Interview: ओलिंपिक सिल्वर जीतकर भारत लौटी मीराबाई चानू, बताया- अपने सबसे करीबी इंसान के साथ बिताउंगी पूरा वक्त

21 साल बाद देश को ओलिंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में मीराबाई चानू ने रजत पदक दिलाया। जिसके बाद मीराबाई का मानना है कि अब वह पदक लेकर सीधे अपने घर मां के पास जाना चाहती हैं और उनके साथ समय बिताना चाहती हैं।

By Viplove KumarEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 08:58 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:24 PM (IST)
Exclusive Interview: ओलिंपिक सिल्वर जीतकर भारत लौटी मीराबाई चानू, बताया- अपने सबसे करीबी इंसान के साथ बिताउंगी पूरा वक्त
ओलिंपिक सिल्वर मेडल विजेता भारतीय महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू - फोटो ट्विटर पेज

शुभम पांडेय। 21 साल बाद देश को ओलिंपिक की भारोत्तोलन स्पर्धा में मीराबाई चानू ने रजत पदक दिलाया। जिसके बाद मीराबाई का मानना है कि अब वह पदक लेकर सीधे अपने घर मां के पास जाना चाहती हैं और उनके साथ समय बिताना चाहती हैं। क्योंकि पिछले पांच साल में अपने सपने को पूरा करने के लिए वह सिर्फ पांच दिन ही घर में रुक सकी हैं। टोक्यो से भारत वापसी पर मीराबाई चानू से शुभम पांडेय ने खास बातचीत की।

पेश है प्रमुख अंश : -

भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने के साथ आपको कैसा महसूस हो रहा है?

मुझे बहुत ही ज्यादा खुशी महसूस हो रही है। पिछले पांच वर्षो में मैं इस लक्ष्य के लिए काफी कड़ी मेहनत कर रही थी। ओलंपिक में पदक जीतना ही बाकी रह गया था इस उपलब्धि के साथ मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है। मेरा सबसे बड़ा सपना भी पूरा हो गया है।-

2016 रियो ओलंपिक में आप भार तक नहीं उठा सकी थी और आज आपके हाथ में रजत पदक है। इस सफर को कैसे देखती हैं?

मैंने रियो में काफी कोशिश की थी लेकिन तब मेरा दिन नहीं था। मैंने उस समय तय किया था कि मुझे टोक्यो में खुद को साबित करना होगा। उसके बाद मैंने ट्रेनिंग और तकनीक सब बदल दी थी और टोक्यो को लक्ष्य बनाकर पिछले पांच साल कड़ी मेहनत की। 

आपका स्नैच कमजोर माना जाता रहा है लेकिन उसमें भी शानदार प्रदर्शन किया। क्लीन एंड जर्क के साथ आप स्वर्ण पदक जीत सकती थी। क्या लगता है, आप एक मौका चूक गईं?

स्नैच में मैंने पूरी कोशिश करते हुए तकनीक के साथ वजन उठाने की कोशिश की थी। लेकिन 89 किग्रा में से 87 किग्रा ही स्नैच में उठा सकी। क्लीन एंड जर्क में 117 किग्रा का भार स्वर्ण पदक के लिए उठाना था लेकिन शारीरिक कमजोरी के चलते इस ओलिंपिक रिकार्ड वजन को नहीं उठा सकी। फिर भी मुझे 115 किग्रा के साथ रजत पदक जीत कर बहुत खुशी है और यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

पदक लेकर आप देश वापस आ गई, अब आगे का क्या प्लान है?

पिछले पांच सालों से मैं केवल पांच दिन के लिए ही घर जा पाई थी। अब मैं इस पदक के साथ घर जाऊंगी। अपनी मां और परिवार के साथ समय बिताना चाहूंगी। बाकी कुछ नहीं सोचा है।

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