कर्णम मल्लेश्वरी ने मीराबाई चानू के सिल्वर जीतने पर दिया बयान, ओलिंपिक में वेटलिफ्टिंग में दिलाया था पहला पदक

कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि रियो डी जनेरियो में मीराबाई चानू का दिन बहुत खराब रहा था लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दिया। उसने कड़ी मेहनत की। अपनी तकनीक में सुधार किया और आज भारत के लिए रजत पदक जीता है।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 06:14 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 08:08 PM (IST)
कर्णम मल्लेश्वरी ने मीराबाई चानू के सिल्वर जीतने पर दिया बयान, ओलिंपिक में वेटलिफ्टिंग में दिलाया था पहला पदक
टोक्यो ओलिंपिक में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा।

मुंबई, आइएएनएस। टोक्यो ओलिंपिक में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने पदक जीतकर भारोत्तोलन स्पर्धा में 21 सालों का सूखा खत्म किया। इससे पहले सिडनी ओलिंपिक 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में भारत को कांस्य दिलाया था। चानू के रजत पदक जीतने पर उनका बयान सामने आया है।मणिपुर की रहने वाली 26 साल की वेटलिफ्टर चानू की उन्होंने काफी तारीफ की। 

कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि रियो डी जनेरियो में मीराबाई चानू का दिन बहुत खराब रहा था, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दिया। उसने कड़ी मेहनत की। अपनी तकनीक में सुधार किया और आज भारत के लिए रजत पदक जीता है। यह एक बड़ी उपलब्धि है कि एक भारोत्तोलक ने 21 साल के बाद भारत के लिए पदक जीता है। कर्णम ने महिलाओं के 69 किग्रा की प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। वहीं चानू ने 49 किग्रा की प्रतिस्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया। 

कर्णम ने कहा कि मीराबाई की उपलब्धि आगामी भारोत्तोलकों को प्रेरित करेगी। कर्णम ने आधिकारिक प्रसारक के साथ एक इंटरव्यू में कहा, 'मैं इसे भारत में भारोत्तोलन के बेहतरी के तौर में देखती हूं, क्योंकि इससे अगली पीढ़ी के भारोत्तोलक प्रेरित होंगे। यह देश में भारोत्तोलन संस्कृति को बढ़ावा देगा, जो कई समस्याओं का सामना कर रहा है। युवा भारोत्तोलकों को लगेगा कि अगर वह ऐसा कर सकती हैं, तो वे भी कर सकते हैं। यह युवा भारोत्तोलकों के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है और खेल के लिए एक नया द्वार खोलेगा।

विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक कुंजारानी देवी ने कहा कि मीराबाई के दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति ने उन्हें सफलता दिलाई। 1989 में मैनचेस्टर विश्व चैंपियनशिप में में रजत जीतने वालीं कुंजारानी ने कहा, 'चानू बहुत मेहनती, दृढ़ संकल्प और एक मजबूत इच्छाशक्ति रखती हैं। रियो डी जनेरियो में मिली निराशा के बाद उनकी वापसी से यह स्पष्ट है। मुझे बहुत गर्व है कि मेरे गृह राज्य मणिपुर की एक लड़की और एक भारोत्तोलक ने टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पहला पदक जीता है। मीराबाई के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।'

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