Tokyo Olympics: चिराग और सात्विक की जोड़ी ने जगाई क्वार्टर फाइनल की उम्मीद- ज्वाला गट्टा
ज्वाला गट्टा ने कहा कि चिराग और सात्विक ने इस प्रदर्शन से काफी खुशियां दीं। आमतौर पर हम डबल्स खिलाड़ियों के बारे में अधिक बात नहीं करते इसलिए मैं खुश हूं कि इस जोड़ी ने कड़े संघर्ष के बाद हासिल की गई जीत से काफी लोगों का ध्यान खींचा है।
(ज्वाला गट्टा का कालम)
पीवी सिंधू को ओलिंपिक के ग्रुप-जे के महिला सिंगल्स मुकाबले में इजरायल की सेनिया पोलिकारपोवा के खिलाफ रविवार को आसान चुनौती मिली। उन्हें आधे घंटे तक अच्छा वर्कआउट करने का मौका मिला और उन्होंने हालात को समझने में उसका अच्छा लाभ उठाया। साथ ही दर्शकदीर्घा से मिलने वाली ऊर्जा भी नदारद है, जिससे खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन होता है। इस बात से भी तालमेल बैठाने में वक्त लगता है। पुरुष डबल्स में शनिवार को चिराग शेट्टी और सात्विक साईराज ने अहम जीत हासिल की। दुनिया की तीसरे नंबर की चीनी ताइपे की जोड़ी यांग ली और ची लिन वांग पर ये जीत तब आई, जब देश भारोत्तोलक मीराबाई चानू के रजत पदक का जश्न मना रहा था।
चिराग और सात्विक ने इस प्रदर्शन से काफी खुशियां दीं। आमतौर पर हम डबल्स खिलाड़ियों के बारे में अधिक बात नहीं करते, इसलिए मैं खुश हूं कि इस जोड़ी ने कड़े संघर्ष के बाद हासिल की गई जीत से काफी लोगों का ध्यान खींचा है। इस जीत से ग्रुप-ए में इस जोड़ी ने क्वार्टर फाइनल की उम्मीदें जगाई हैं। ग्रुप में शीर्ष वरीय मार्कस फर्नाल्डी गिडियोन और केविन संजाया सुकामुल्जो की इंडोनेशियाई जोड़ी भी है। मुझे विश्वास है कि भारतीय सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में ये अहम है कि अपने आखिरी लीग मैच में ब्रिटेन के बेन लेन और सीन वेंडी के खिलाफ मुकाबले से पहले इंडोनेशियाई जोड़ी के खिलाफ अपनी संभावनाओं को और बढ़ाएं। भारतीय जोड़ी कोर्ट पर काफी तेज है और चतुर व निडर थी। चिराग और सात्विक को विपक्षी टीम की कमजोरियों का लाभ उठाना होगा। मैंने देखा है कि शीर्ष वरीय खिलाड़ी दबाव में बिखरते हैं। वहीं, ब्रिटिश जोड़ी को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।
साई प्रणीत को इजरायल के मिशा जिल्बेरमैन से हार मिली। जो लोग उनके अनियमित प्रदर्शन को फालो नहीं कर रहे हैं, वे इस हार से चौंक गए होंगे। अपना दिन होने पर प्रणीत सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को भी धूल चटा सकते हैं, लेकिन अगर उनका दिन नहीं हो तो वो अपनी ही परछाई जैसे नहीं दिखते। मैं हैरान हूं कि जो लोग प्रबंधन में हैं उन्होंने ओलिंपिक से पहले इस समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दिया। ईमानदारी से कहूं तो मुझे टेलीविजन पर बैडमिंटन देखना पसंद नहीं है, लेकिन फिलहाल मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है। पिछले दो ओलिंपिक खेलों का हिस्सा रहने के बाद इन खेलों को स्क्रीन पर देखना अजीब अनुभव है। कौन जानता है कि मैं भी टोक्यो 2020 ओलिंपिक में हिस्सा ले रही होती, लेकिन मैं वास्तविकता में जीती हूं और जानती हूं कि मैं हमेशा तो नहीं खेल सकती।