टोक्यो ओलंपिक 2021: घुटने की चोट से उबरते हुए महिला पहलवान सोनम कर रही हैं कड़ी मेहनत
अप्रैल में कजाखस्तान में ओलंपिक क्वालीफाइंग ट्रायल में सोनम के घुटने में चोट लग गई थी। फिलहाल कोरोना महामारी के चलते लगे लाकडाउन में सोनम घर आ गईं हैं। उन्होंने चिकित्सकों से उपचार लेते हुए फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में अभ्यास शुरू कर दिया है।
परमजीत सिंह, गोहाना। ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक को हराकर सुर्खियों में आईं सोनीपत जिले के गोहाना के गांव मदीना निवासी पहलवान सोनम मलिक का पूरा ध्यान टोक्यो ओलंपिक पर केंद्गित है। हालांकि उन्हे इसके बीच चोट की चुनौती से भी जूझना पड़ रहा है। वह ओलंपिक क्वालीफाइंग ट्रायल में घुटने में लगी चोट से धीरे-धीरे उबर रही हैं और फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में उस तरह का अभ्यास कर रही हैं, जिससे घुटने की चोट प्रभावित न हो। सोनम घुटने की चोट के चलते पोलैंड में चल रही रैंकिंग सीरीज में भी शामिल नहीं हो सकीं, लेकिन अपने गांव में कड़ी मेहनत कर रही हैं।
सोनम मलिक 62 किग्रा में साक्षी मलिक को हराकर पहलवानी में बड़ा नाम बन गई हैं। अप्रैल में कजाखस्तान में ओलंपिक क्वालीफाइंग ट्रायल में सोनम के घुटने में चोट लग गई थी। फिलहाल कोरोना महामारी के चलते लगे लाकडाउन में सोनम घर आ गईं हैं। उन्होंने चिकित्सकों से उपचार लेते हुए फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में अभ्यास शुरू कर दिया है। वह रोजाना सुबह पांच बजे अपने पिता के साथ गोहाना में जिम में आती हैं और वहां फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में करीब ढाई घंटे पैरों की एक्सरसाइज करती हैं। इसके बाद गांव में जाकर कुश्ती अकादमी में पसीना बहाती हैं। शाम के समय भी रोजाना तीन घंटे अकादमी में अभ्यास कर रही हैं। सोनम के अभ्यास में उनके बड़े भाई मोहित सहयोग कर रहे हैं।
गांव की अकादमी से शुरू की थी कुश्ती : सेना से सेवानिवृत्त सूबेदार पहलवान अजमेर मलिक ने 2011 में अपने गांव मदीना में नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्पोर्ट्स अकादमी शुरू की थी। सोनम मलिक ने 2012 में इसी अकादमी में पहली बार कुश्ती के लिए दंगल में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कैडेट्स, जूनियर और अब सीनियर वर्ग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। अजमेर मलिक बताते हैं कि साक्षी मलिक को अलग-अलग प्रतियोगिताओं में चार बार हरा चुकी सोनम मनोविज्ञानिक रूप से काफी मजबूत स्थिति में है। सोनम विशेष डाइट न लेकर दूध व दही के साथ घर पर बनने वाला मां मीना के हाथ का सादा खाना ख रही हैं।
हर चुनौती को ध्यान में रखकर कर रही हैं तैयारी : सोनम के पिता राजेंद्र कहते हैं कि प्रत्येक पहलवान का कुश्ती लड़ने का अलग तरीका होता है। उनकी कुश्ती देखकर नया सीखने को मिलता है। प्रत्येक नए दांव को सोनम चुनौती के रूप में स्वीकार करके तैयारी कर रही हैं। अकादमी के संचालक अजमेर मलिक भी सोनम को प्रेरित कर रहे हैं।