Tokyo Olympics: खेलरत्न वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने रचा इतिहास, कभी उठाती थीं लकड़ियों का बंडल

Tokyo Olympics 2020 Who is Chanu Saikhom Mirabai 26 साल की मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलिंपिक में 49 किलोग्राम भार वर्ग वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा साथ ही भारत के लिए इस इवेंट में पहला मेडल भी जीता।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 12:45 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:15 PM (IST)
Tokyo Olympics: खेलरत्न वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने रचा इतिहास, कभी उठाती थीं लकड़ियों का बंडल
मीराबाई चानू ने टोक्यों ओलिंपिक में रजत पदक जीता (एपी फोटो)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कहते हैं प्रतिभा कहीं भी हो, किसी भी हाल में हो वो अपना रास्ता तलाश लेती है और फिर अपने मंजिल तक पहुंच ही जाती है जैसा कि मीराबाई चानू के साथ हुआ। 8 अगस्त 1994 को मीराबाई चानू का जन्म इम्फाल (मणिपुर) में हुआ था और किसी को क्या पता था कि वो एक छोटे से गांव से निकलकर विश्वपटल पर छा जाएंगी और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगी। मगर ऐसा हुआ और टोक्यो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बजा दिया। टोक्यो ओलिंपिक में सफल होने से पहले उनके नाम कई कामयाबियां दर्ज है, लेकिन इस स्तर पर देश के लिए मेडल जीतना उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। 

मीराबाई ने रचा इतिहास

मीराबाई चानू जब छोटी थीं तब वो और उनके भाई जंगलों से लकड़ियां लाया करते थे। मीराबाई भारी से भारी लकड़ियों के बंडल को आसानी से उठा लेती थीं जबकि उनके भाई ऐसा नहीं कर पाते थे। जब वो 12 साल की थीं तब उनके परिवार ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश के लिए एक से बढ़कर एक उपलब्धि अपने नाम करने वाली मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 में 49 किलोग्राम भारवर्ग प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इससे पहले ओलिंपिक में किसी भी भारतीय वेटलिफ्टर ने रजत पदक नहीं जीता था। पिछली बार 2016 रियो ओलिंपिक के लिए उन्होंने क्वालीफाई कर लिया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाई थीं। 

टोक्यो ओलिंपिक में रजत पदक जीतने से पहले मीराबाई ने साल 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा उन्होंने 2020 एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था तो वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में सिल्वर और 2018 में गोल्ड मेडल अपने नाम किए थे। उनकी शानदार उपलब्धियों की वजह से उन्हें साल 2018 में सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वो पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं। 

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