कोविड की वजह से बंद हुए स्टेडियम तो पहलवान बहन को दांव-पेंच का अभ्यास कराने लगा भाई

नैना बताती हैं कि भाई के साथ वह दांव-पेंच में भी सुधार कर रही हैं। भाई 200 पशुअप लगाता है तो वह 300 लगाती हैं। फिटनेस भी सुधर गई है। इसका फायदा उनको (नैना को) आगामी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में मिलेगा।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:33 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:33 PM (IST)
कोविड की वजह से बंद हुए स्टेडियम तो पहलवान बहन को दांव-पेंच का अभ्यास कराने लगा भाई
पहलवान बहन को दांव-पेंच का अभ्यास करा रहा भाई (एपी फोटो)

विजय गाहल्याण, पानीपत। महिला कुश्ती में दुनियाभर में प्रसिद्ध बलाली बहनों को तरासने में पिता महावीर फोगाट ने अपना जीवन लगा दिया। यहां का एक युवक अपनी बड़ी बहन को कुश्ती का अभ्यास करा रहा है। हाल ही में कोरोना को मात देकर लौटा निखिल रोज घंटों बहन के साथ पसीना बहा रहा है।

पानीपत के सुताना गांव निवासी निखिल कुश्ती में हरियाणा चैंपियन है। उसकी बड़ी बहन नैना भारत केशरी पहलवान है और रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में कुश्ती का अभ्यास करती थी। कोरोना से उबर कर निखिल बहन से मिलने रोहतक पहुंचा। वहां उसको चिंता में देखा। कोरोना के कारण स्टेडियम बंद हो गया। नैना इस चिंता में डूबी रहती कि आगे आने वाले मुकाबलों के लिए घर में अभ्यास करे तो करे कैसे। उसके लिए कम से कम जोड़ीदार पहलवान तो चाहिए ही थी। निखिल ने तुरंत उसकी चिंता दूर कर दी। बोला-दीदी तुम मेरे साथ अभ्यास करो। और वह बड़ी बहन को अभ्यास कराने में जुट गया। उसने स्टेडियम के पास ही सेक्टर-चार में किराये का मकान लिया और पास के पार्क में बहन को अभ्यास कराने लगा।

नैना बताती हैं कि भाई के साथ वह दांव-पेंच में भी सुधार कर रही हैं। भाई 200 पशुअप लगाता है तो वह 300 लगाती हैं। फिटनेस भी सुधर गई है। इसका फायदा उनको (नैना को) आगामी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में मिलेगा। नैना ने बताया कि भाई ने 2020 में भी लाकडाउन के दौरान चार महीने घर को ही अखाड़ा बना दिया था। मुझे अभ्यास कराता रहा, तभी नेशनल रजत पदक और भारत केसरी का खिताब जीत पाई। वह हमेशा प्रोत्साहित करता है।

पिता के सपने को जी रहे भाई-बहन

नैना के पिता रामकरण गांव के पूर्व सरपंच हैं। उनको भी कुश्ती का शौक था, लेकिन आíथक तंगी की वजह से पहलवानी में बड़ा नाम नहीं बन पाए। बेटी नैना को अखाड़े में भेजा। बेटी की खुराक में कमी न रह जाए, इसके लिए जमीन बेच दी। नैना ने भी कठिन अभ्यास कर अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर पिता के सपने को पूरा किया। बेटा भी पिता के सपनों को साकार करने की ओर अग्रसर है।

नैना की उपलब्धियां

-2019 में अंडर-23 एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

-छह बार भारत केसरी का खिताब जीता।

-2019 में आल इंडिया यूनिवíसटी गेम्स में स्वर्ण पदक। इसी प्रतियोगिता में पहले दो स्वर्ण और कांस्य पदक।

-जूनियर नेशनल और अंडर-23 कुश्ती चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य पदक जीते।

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